अखिलेश अखिल
छत्तीसगढ़ का नारायणपुर जिला. यह वही जिला है. जहां सूरज के उगने और ढलने तक कभी बंदूक की धांय -धांय आवाज सुनाई पड़ती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. समय के साथ ही नारायणपुर बदल गया है. अब यहां नक्सलियों और पुलिस के बीच पैतरेबाजी बहुत ही कम दिखती है. विकास से कोसों दूर यह इलाका कभी ओडिशा का कालाहांडी भी कहलाता था. स्थानीय लोगों के पास न कोई रोजगार का जुगाड़ था और नहीं बच्चो के लिए कोई पाठशाला. हेल्थ सेक्टर की तो कल्पना भी नहीं जा सकती थी. कोई बीमार पड़ता तो कोसों दूर पैदल चलकर जान बचाने के उपाय किये जाते थे. लेकिन वह प्रयास भी असफल हो होता था. कारण एक ही था. इस जिले के गांव में कोई भी सरकारी अमला जा नहीं जा सकता था. नक्सलियों के डर से भला कौन जान गवाने जाए. पिछली सरकारों ने इलाके के विकास के लिए प्रयत्न तो किये थे लेकिन सफलता नहीं मिली. जनता वोट डालती लेकिन लोकतंत्र उससे दूर ही रहा.
लेकिन नारायणपुर में अब लोकतंत्र पहुँच गया है. नारायणपुर अब पहले जैसा नहीं रहा. जिले के हर इलाके से अब सड़कें गुजरती है. टाट फुस की झोपडी अब पक्के घर में बदल गई है. हर गांव में स्कूल खुल खुल गए हैं और जगह -जगह हेल्थ सेण्टर भी दिखने लगे हैं. पिछले कुछ सालों में नारायणपुर की जो तस्वीर बदली है उसमे प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार की भूमिका को अब केंद्र सरकार भी मान रही है.
नीति आयोग ने 2018 में देश के 112 सबसे पिछड़े जिलों को चिन्हित किया था. ये जिले सामाजिक, आर्थिक स्तर पर काफी पिछड़े पाए गए थे. सरकार ने तब माना था कि अगर इन जिलों को आगे नहीं लाया गया तो हालत और भी ख़राब होगी और नक्सलवाद के बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाएगी. फिर नीति आयोग की पहल पर केंद्र सरकार ने देश के इन गरीब जिलों को आकांक्षी जिलों में शामिल किया और इसके विकास के लिए राज्य सरकारों को दिशा निर्देश भी दिए. लेकिन नारायपुर की हालत तो विकट थी. यहाँ के इलाकों में जाए कौन ? बघेल सरकार ने यहाँ विकास कार्यों को अंजाम दिया और आज नारायणपुर मुस्कुरा रहा है.
अब हालत ये है कि छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. नीति आयोग की ओर से अगस्त 2022 के लिए जारी की गई चैंपियन ऑफ डेल्टा रैंकिंग में नारायणपुर ने लंबी छलांग लगाई है. देश भर में घोषित किए गए 112 आकांक्षी जिलों की ओवरऑल परफॉरमेंस श्रेणी में नारायणपुर पांचवें स्थान पर है. वहीं स्वास्थ्य और पोषण श्रेणी में दूसरा और शिक्षा श्रेणी के आधार पर जारी रैकिंग में नारायणपुर जिले को चौथा स्थान मिला है.
छत्तीसगढ़ में वंचित वर्ग को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों की शुरुआत की गई है. इन स्कूलों को शुरू करने का मकसद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को भी अंग्रेजी में पढ़ाना और भविष्य के लिए तैयार करना है. इसी तरह से हिंदी माध्यम के भी उत्कृष्ट स्कूलों की शुरुआत की गई है. इसके अलावा प्राथमिक स्कूलों में भी स्थानीय बोली में शिक्षा दी जा रही है. जिससे बच्चे अपनी संस्कृति और सभ्यता से जुड़े रहें और आसानी से समझ सकें.
इसी तरह बच्चों में कुपोषण दूर करने और किशोरी बालिकाओं व महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है. इससे पोषण के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सुविधा के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक, दाई-दीदी क्लीनिक, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना, हमर लैब, मलेरिया मुक्त बस्तर और मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ योजना का संचालन किया जा रहा है. वहीं डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी लाभ पहुंचाए जा रहे हैं.