Wednesday, October 30, 2024
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दिल्ली दंगाः एसिड अटैक में अंधे हुए मोहम्मद वकील के हमलावरों पर अदालत ने नामजद एफआईआर का दिया आदेश

2020 के दिल्ली दंगों से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण मामले में आज दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने तेजाब हमले और लूटपाट के शिकार हुए मोहम्मद वकील के हमलावर दंगाइयों के खिलाफ करावल नगर थाना को निर्देश दिया है कि वह नामजद एफआईआर दर्ज करे और आरोपियों के साथ कोई नर्मी न बरते। दुखद बात यह है कि दिल्ली दंगों में शिव विहार निवासी मोहम्मद वकील और उनके परिवार के सदस्यों पर दंगाइयों ने तेजाब से हमला किया, जिसमें मोहम्मद वकील की दोनों आंखें चली गईं। साथ ही उनके घर-बार को जला दिया गया। परिजन किसी तरह छिपकर अपनी जान बचाने में कामियाब रहे। लेकिन इसके बावजूद स्थानीय पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज नहीं की।
इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के संरक्षण में मोहम्मद वकील की आंखों का इलाज जारी है। उनको जमीयत ने मकान भी बना कर दिया। उनकी आर्थिक सहायता भी की लेकिन इसका आभास हमेशा रहा कि जिन दंगाइयों ने उन्हें बर्बाद करने की कोशिश की, वे आज तक खुलेआम घूम रहे हैं। इस सम्बंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से एडवोकेट मोहम्मद सलीम ने अदालत के समक्ष मोहम्मद वकील का पक्ष रखा और न्याय की गुहार लगाई। न्यायालय ने पुलिस की लापरवाही की आलोचना करते हुए तत्काल नामजद एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही मुकदमे के लंबे खिंचने पर नाराजगी भी व्यक्त की।
इससे पूर्व न्याय मिलने में हो रही देरी और अपने स्वास्थ्या के कारण मोहम्मद वकील बहुत निरश हो रहे थे और मुकदमे में उनकी रुचि खत्म हो चुकी थी। इस सम्बंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी को एडवोकेट मोहम्मद सलीम ने जब बताया तो उन्होंने मोहम्मद वकील को जीमयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यालय तलब किया और कहा कि देश की अदालत आपको न्याय दिलाने में सक्षम है। आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी, न्यायिक मामलों के संरक्षक मौलाना नियाज अहमद फारूकी एडवोकेट और अन्य वकील आपके मामले को लेकर गंभीर हैं। इसलिए निराश होने के बजाय दंगाइयों को सजा दिलाने की लड़ाई में आगे बढ़ें। इसपर मोहम्मद वकील की हिम्मत बढ़ी और उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति जताई। मुलाकात में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और मौलाना गय्यूर अहमद कासमी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अल्लाह का शुक्र है कि आप लोगों के प्रयासों से आंखों की रोशनी थोड़ी लौट आई है। बस दुआ कर दीजिए।
कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में दंगों में बेवजह फंसाए गए चार मुस्लिम युवकों को भी बरी कर दिया। इनमें मोहम्मद शोएब, शाहरुख और राशिद की पैरवी जमीयत के वकील मोहम्मद सलीम कर रहे थे। उन लोगों पर पुलिस ने 17 मुकदमे थोप रखे थे। लेकिन धैर्य और संयम की बड़ी ताकत की वजह से आखिरकार उनको न्याय मिल गया.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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