Thursday, March 28, 2024
होमताज़ातरीनदक्षिण में फिर उठी हिंदी के खिलाफ आवाज, बीजेपी हुई सतर्क

दक्षिण में फिर उठी हिंदी के खिलाफ आवाज, बीजेपी हुई सतर्क

 

भारत जैसे बहुलतावादी देश में कोई अपनी बात को कैसे किसी सुसरे पर थोप सकता है ? फिर यह देश किसी एक पार्टी के अजेंडे पर भी नहीं सकता. यह देश सबका है और सबकी अलग चाहत भी. यही तो इस देश का मिजाज है. बहुलता में एकता.
लेकिन हिंदी को लेकर फिर बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है. दक्षिण के दो राज्य फिर से हिंदी को लेकर तल्ख़ हुए हैं. केरल के सीएम पिनराई विजयन ने पीएम मोदी को एक लेटर लिखा है. इसमें कहा गया है कि केरल राजभाषा को लेकर बनी संसदीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार नहीं करेगा. पिनराई ने कहा है कि भारत ‘अनेकता में एकता’ की अवधारणा से परिभाषित होता है, जो सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को स्वीकार करता है. किसी एक भाषा को दूसरों से ऊपर बढ़ावा देना अखंडता को नष्ट कर देगा. उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री से दखल देने और सुधार करने वाले फैसले लेने के मांग की है.
उधर, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा है कि हिंदी थोपकर केंद्र सरकार को एक और भाषा युद्ध की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. पीएम नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा है कि हिंदी को अनिवार्य बनाने के प्रयास छोड़ दिए जाएं और देश की अखंडता को कायम रखा जाए. दोनों नेताओं ने यह बातें राजभाषा पर संसदीय समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को हाल में सौंपी गई एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया में कहीं.
स्टालिन ने कहा कि ऐसा होने से देश की बड़ी गैर-हिंदी भाषी आबादी अपने ही देश में दोयम दर्जे की रह जाएगी. उन्होंने कहा, हिंदी को थोपना भारत की अखंडता के खिलाफ है. हमें सभी भाषाओं को केंद्र की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने सवाल किया, अंग्रेजी को हटाकर केंद्र की परीक्षाओं में हिंदी को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव क्यों रखा गया? ये संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है. ऐसा करके दूसरी भाषाओं के साथ भेदभाव करने का प्रयास किया जा रहा है. 1965 से ही डीएमके हिंदी को थोपने के खिलाफ संघर्ष कर रही है. हिंदी की तुलना में दूसरी भाषा बोलने वाले लोग देश में ज्यादा हैं. बीजेपी सरकार अतीत में हुए हिंदी विरोधी आंदोलनों से सबक ले.
बता दें कि संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में आईआईटी, आईआईएम, एम्स, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में अंग्रेजी की जगह हिंदी को माध्यम बनाने की सिफारिश की है. स्टालिन ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में तमिल समेत 22 भाषाएं हैं. इनके समान अधिकार हैं.
बीते दिनों स्टालिन ने अपने एक बयान में कहा था कि हमें हिंदी दिवस की जगह भारतीय भाषा दिवस मनाना चाहिए. साथ ही ‘केंद्र को संविधान के आठवें शेड्यूल में दर्ज सभी 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा घोषित कर देना चाहिए. हिंदी न तो राष्ट्रीय भाषा है और न ही इकलौती आधिकाारिक भाषा.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments