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तेलंगाना में भी राज्यपाल और सीएम के बीच शीत युद्ध जारी

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तेलंगाना में भी राज्यपाल और सीएम के बीच शीत युद्ध जारी

अंज़रुल बारी

पश्चिम बंगाल के बाद अब तेलंगाना में भी सीएम और गवर्नर के बीच शीत युद्ध होता दिख रहा है. जानकारी के मुताबिक़ पिछले छह महीने से तेलंगाना और राज्यपाल के बीच कोई बात मुलाकात नहीं है. कोई किसी को न निमंत्रण देते हैं और न ही किसी साझा कार्यक्रम में शामिल होते हैं. जानकारी के मुताबिक़ सरकार के किसी मंत्री को भी राज्यपाल से मिलने की मनाही कर दी गई है. यह गतिरोध कब और कैसे टूटेगा कोई नहीं जनता.
बता दें कि तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन पेशे से डॉक्टर हैं. वह सामाजिक कार्यों में बेहद सक्रिय रहती हैं. जबकि केसीआर राव दूसरी बार प्रचंड बहुमत से जीतकर सरकार बना चुके हैं. 2023 में उन्हें तीसरे चुनाव का सामना करना है. राज्य में बीजेपी अपनी पैठ बढ़ा रही है और वह कांग्रेस को पछाड़ने की ओर अग्रसर है. केसीआर कांग्रेस को तोड़कर उसे कमजोर बना चुके हैं. लेकिन मौजूदा टकराव की वजहें कुछ और हैं.
राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन ने ‘मीडिया को बताया है कि उनकी छह महीने से मुख्यमंत्री के साथ कोई बैठक नहीं हुई है, लेकिन इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की. हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा नियमों के तहत कदम उठाए हैं.
राजभवन के सूत्रों की मानें तो पिछले साल राज्यपाल ने सरकार की दो फाइलें लौटा दी थी जिसके बाद से मुख्यमंत्री केसीआर राव उनसे नाराज हो गए. इसी के बाद से राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच तनातनी शुरू हो गई.
हालांकि राज्यपाल और सीएम के बीच की बढ़ती दूरियों के कई कारण हैं लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों के बीच तनातनी एमएलसी के चैयरमैन पर प्रोटम चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर हुई. प्रोटम चैयरमैन की नियुक्ति स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति तक होती है, जो अधिकतम छह महीने हो सकती है, लेकिन केसीआर सरकार ने छह महीने के बाद फिर प्रोटम चैयरमैन का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश की तो राज्यपाल ने उसे ठुकरा दिया. जबकि चैयरमैन पांच वर्ष के लिए होता है.
एक तरफ केसीआर और राज्यपाल के बीच तनातनी जारी है, वहीं बीजेपी ने केसीआर के उस बयान को मुद्दा बना रखा है, जिसमें उन्होंने संविधान को नये सिरे से लिखने की बात कही है. दरअसल, बीजेपी तेलंगाना में अपनी जड़ें जमा रही हैं. कांग्रेस वहां लगभग खत्म हो चुकी है. कांग्रेस के ज्यादातर नेता केसीआर की पार्टी में जा चुके हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस के पास अब पांच विधायक ही बचे हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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