Home ताज़ातरीन तुर्की के चुनावी दंगल के सबसे अहम दौर का पहला राउंड ख़त्म, दूसरे राउंड के लिए 28 मई को फिर पड़ेगा वोट

तुर्की के चुनावी दंगल के सबसे अहम दौर का पहला राउंड ख़त्म, दूसरे राउंड के लिए 28 मई को फिर पड़ेगा वोट

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तुर्की के चुनावी दंगल के सबसे अहम दौर का पहला राउंड ख़त्म, दूसरे राउंड के लिए 28 मई को फिर पड़ेगा वोट

तुर्की में पिछली एक सदी का सबसे अहम चुनाव हो रहा है. लोग सरकारी तौर पर नतीजों के एलान का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. इन चुनाव में राष्ट्रपति पद के साथ साथ संसद की 600 सीटों के लिए भी वोटिंग हुई है. खबर है कि नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर एक बार फिर से वोटिंग होगी.

दरअसल, पहले राउंड में राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कमाल कलचदारलू, दोनों को ही पचास फ़ीसदी से अधिक वोट नहीं मिल सके हैं. जिसके बाद अब 28 मई को रनऑफ़ वोटिंग यानी निर्णायक मुक़ाबला होगा. तुर्कीये में संविधान के मुताबिक जीत के लिए उम्मीदवार को 50% वोट मिलना अनिवार्य होता है, मगर मौजूदा चुनावों में कोई भी उम्मीदवार 50% वोट हासिल नहीं कर पाया है, जिसके बाद अब 28 मई को अर्दोआन और उनके निकटतम विरोधी के बीच दूसरे राउंड की वोटिंग होगी.

हालांकि साल 2002 से सत्ता पर क़ाबिज़ अर्दोआन को 49.49 फ़ीसदी मतों के साथ बढ़त मिली हुई है. उनके समर्थकों का मानना है कि अर्दोआन दोबारा अच्छे मार्जिन से चुनाव जीत जाएंगे.

वहीं, अर्दोआन को कड़ी टक्कर देने वाले और विपक्षी कमाल कलचदारलू को 44.79 फ़ीसदी मत ही मिल सके हैं. उन्होंने भी दूसरे राउंड में चुनाव जीतने का दावा किया है.

माना जा रहा है कि तुर्की में सालों बाद सबसे मुश्किल चुनाव हो रहा है. 8.5 करोड़ की आबादी वाले देश में एक तरफ महंगाई चरम पर है, तो दूसरी तरफ इसी साल फ़रवरी में आए भीषण भूकंप ने तुर्की को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया है.

याद रहे कि इस बार के राष्ट्रपति पद के चुनाव न सिर्फ़ ये तय करेंगे कि तुर्की का नेतृत्व किसके हाथों में होगा, बल्कि इससे ये भी तय होगा कि क्या तुर्की एक बार फिर से ‘धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक’ रास्ते पर लौटता है या नहीं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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