Friday, April 19, 2024
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तवांग झड़प पर संसद में रार, विपक्ष के निशाने पर मोदी सरकार 

पिछले दिनों शीतकालीन संसद सत्र के दौरान तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प पर संसद में चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर लिया. कांग्रेस ने झड़प को लेकर सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी देश की सुरक्षा और अखंडता की बात आती है, तो प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्रियों के पीछे छिप जाते हैं.

 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में आरोप लगाया कि चीन के अतिक्रमण से भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को खुलेआम चुनौती दी जा रही है. क्योंकि केंद्र सरकार ‘मूकदर्शक’ बनी हुई है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा कराने की मांग को लेकर अपनी बात रखते हुए उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने यह दावा किया.

खड़गे ने यह भी कहा कि चीन जनवरी, 2020 में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान की आड़ ले रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है या हमारी किसी भी जमीन पर कब्जा नहीं किया है.’ खड़गे ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है. वह चाहते हैं कि कामकाज को स्थगित कर इस मुद्दे पर चर्चा की जाए.

इस नोटिस को पढ़ते हुए विपक्ष के नेता ने कहा, ‘हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को चीन के खुलेआम उल्लंघनों द्वारा प्रभावित किया जा रहा है, क्योंकि सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. लद्दाख के गलवान घाटी में हमारे सशस्त्र बलों की वीरता जगजाहिर है. ’खड़गे ने दावा किया कि देपसांग में वाई जंक्शन तक अवैध और अकारण चीनी अतिक्रमण आज तक जारी है. पूर्वी लद्दाख के गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण की स्थिति भी ऐसी ही है. उन्होंने कहा, ‘इतना ही नहीं, पीएलए के डिवीजनल मुख्यालय, तोपखाने के लिए हथियार आश्रय, विमान-रोधी बंदूकें और बख्तरबंद वाहक सहित पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र के बगल में चीनी निर्माण की हमारी सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है.’

खड़गे ने कहा, ‘अप्रैल 2020 तक यथास्थिति सुनिश्चित करने की हमारी मांग के बावजूद, चीन ने हमारे क्षेत्र को खाली करने से इनकार कर दिया है और जानबूझकर हमारे प्रधानमंत्री के उस बयान की आड़ ले रहा है, जिसमें कहा गया था, ‘किसी ने भी हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है या हमारे किसी भी क्षेत्र पर कब्जा नहीं किया है. ‘’ उन्होंने कहा कि यहां तक कि हमारे क्षेत्र से पीछे हटने के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत में भी गतिरोध बना हुआ है. और कोई नई तारीख तय नहीं की गई है.

खड़गे ने कहा, ‘इन सबके बीच, चीन द्वारा एलएसी के पार तवांग सेक्टर में हमारे क्षेत्र में घुसपैठ के अकारण प्रयास की खबरें और चिंताएं पैदा करती हैं. डोकलाम क्षेत्र से भी चीनी अतिक्रमण की इसी तरह की अपुष्ट खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा, ‘यह भी सर्वविदित है कि जून 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद चीन ने बारहमासी सड़कों और बंकरों का निर्माण किया है, जो ‘चिकन्स नेक’ सेक्टर में हमारी सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि चीनी अतिक्रमणों और उसकी अवैध गतिविधियों पर सदन में तत्काल चर्चा की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘सरकार को हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए बढ़ते चीनी खतरे के बारे में देश को अवगत कराना चाहिए.

कांग्रेस ने भारत और चीन के सैनिकों की झड़प को लेकर सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि जब भी देश की सुरक्षा और अखंडता की बात आती है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के पीछे छिप जाते हैं. मुख्य विपक्षी दल ने यह सवाल भी किया कि चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए सरकार के पास क्या कूटनीतिक रणनीति है?

कांग्रेस ने इस विषय को संसद के दोनों सदनों में उठाया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद स्पष्टीकरण और चर्चा की मांग करते हुए राज्यसभा से पार्टी के सदस्यों ने वाकआउट भी किया.

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. क्या लोकतंत्र के मंदिर में हमें सीमा की स्थिति के बारे में जानने का हक नहीं है? सरकार जवाब क्यों नहीं दे रही है? वह जनता की आंख में धूल क्यों झोंक रही है?’

उन्होंने दावा किया, ‘इस विषय पर सरकार का दोहरा रवैया है. यह दोहरा रवैया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के कारण है. मोदी जी ने पिछली बार सर्वदलीय बैठक में चीन को क्लीनचिट दिया. उनकी बातों को सही साबित करने के लिए सरकार हमें गुमराह कर रही है.

गोगोई ने दावा किया, ‘मोदी जी को अपनी छवि देश की अखंडता से ज्यादा प्यारी है. जब देश की सुरक्षा और अखंडता का सवाल आता है तो प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों के पीछे छिपते हैं. कभी विदेश मंत्री के पीछे छिपते हैं, कभी रक्षा मंत्री और कभी गृह मंत्री के पीछे छिप जाते हैं.

गोगोई के अनुसार, ‘चीन के साथ 16 बार बैठकें हो चुकी हैं. इसके बाद चीन यह साहस दिखा रहा है कि वह लद्दाख को छोड़कर अब पूर्वोत्तर की ओर नजर गड़ा रहा है. भारत सरकार की बातचीत का कोई नतीजा नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा, ‘सभी दलों को लेकर रणनीति बनानी चाहिए, लेकिन सरकार को सांप्रदायिक राजनीति के चक्कर में इसका समय कहां है?’

गोगोई ने सवाल किया, ‘ये छोटे-छोटे ऐप को प्रतिबंधित करके किसको डरा रहे हैं? क्या हम यह संदेश दे रहे हैं कि सीमा पर चीन आक्रामकता दिखाएगा, तो हम उसके ऐप बंद कर देंगे? भारत सरकार की कूटनीतिक रणनीति क्या है?’उन्होंने कहा, ‘दक्षिण एशिया में चीन का असर बढ़ता जा रहा है. आसियान के साथ हमारे पहले जैसे रिश्ते नहीं रहे. अगर चीन के दुस्साहस का जवाब देना है, तो विभिन्न देशों को साथ लेना पड़ेगा.

गोगोई ने कहा, ‘एक तरफ देश के रक्षा मंत्री कहते हैं कि चीन ने हमारी सीमा के अंदर हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है और दूसरी तरफ गृहमंत्री कहते हैं कि एक इंच भी नहीं देंगे. इस प्रकार के दो संदेश क्यों? क्यों आप देश से सच्चाई छिपाना चाहते हैं?’

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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