Home जुर्म टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को सजा देते समय अदालत ने क्या कहा !

टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को सजा देते समय अदालत ने क्या कहा !

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टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को सजा देते समय अदालत ने क्या कहा !

अखिलेश अखिल

 

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. मलिक को यह सजा टेरर फंडिंग मामले में पाए जाने के बाद दी गई है. एक समय था जब जम्मू कश्मीर में यासीन मलिक की तूती बोलती थी और उसकी हर हरकत की धमक दिल्ली तक पहुँचती थी लेकिन मलिक सजा सुनाते वक्त कोर्ट रूम में काँप रहा था, रो रहा था. जैसे ही अदलता ने मलिक को उम्र कैद की सजा का ऐलान किया, मलिक रोने लगा. अपने वकील एपी सिंह को गले लगा लिया. एनआईए स्पेशल कोर्ट के जज प्रवीण सिंह ने 20 पन्नों का ऑर्डर पढ़कर सजा का ऐलान किया. जज ने मलिक की सभी दलीलों को खारिज कर उन पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट में 20 पन्नों का ऑर्डर सुनाया गया, जिसमें UAPA जैसे गंभीर आरोप में भी सजा सुनाई गई है. सजा सुनाते हुए जज प्रवीण सिंह ने कहा कि तुम गांधीवादी नहीं हो और ना ही उनके अहिंसा नीति को अपनाया है. कोर्ट ऑर्डर की 3 बड़ी बातें प्रमुखता से सामने आयी.

पहली बात तो ये रही कि कोर्ट में जिरह के दौरान मलिक की तरफ से पेश एमिकस क्यूरी एपी सिंह ने दलील दी थी कि 1994 के बाद मलिक ने हथियार छोड़ दिया था और गांधीवाद के रास्ते पर आ गया. इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि मलिक ने अपने किए पर एक बार भी खेद नहीं जताया, जो बताता है कि उन्हें हिंसा करने का कोई दुख नहीं है.

कोर्ट ने आगे कहा कि मलिक वर्ष 94 के बाद भी कई हिंसा में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे हैं और उन्होंने एक बार भी कश्मीर में हिंसा का विरोध नहीं किया. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब चौरी-चौरा कांड हुआ था, तो गांधी जी ने इसका विरोध करते हुए आंदोलन को वापस ले लिया था. मलिक ने ऐसा नहीं किया.

तीसरी बात यह कि कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि यासीन मलिक 1994 के बाद भी अलग जम्मू-कश्मीर की मांग की कई साजिशों में शामिल रहा है. ये आइडिया ऑफ इंडिया पर हमला है. कोर्ट ने आगे कहा कि पॉलिटिकल फाइट अपनाने की बात कह आतंकी गतिविधि में शामिल रहा है, जो कि विश्वासघात है. मलिक ने दलील दी थी कि उसने 7 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है.

यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद और 10 मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. इसके अलावा इस अलगाववादी नेता को 10 लाख रुपए जुर्माना भी भरना होगा. यासीन पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग और आतंकियों को हथियार मुहैया कराने से जुड़े कई केस दर्ज थे.

बता दें कि यासीन मलिक को सजा दिए जाने के पहले उसके श्रीनगर स्थित घर के बाहर भीड़ जमा हो गई थी. वहां अभी भी सुरक्षाबल तैनात हैं. भीड़ में से कुछ लोगों ने सुरक्षाबलों पर पथराव भी किया. भीड़ को हटाने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए श्रीनगर में मोबाइल, इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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