ज्ञानवापी विवाद को लेकर जिस तरह से वाराणसी की अदालत ने सोमवार को अहम आदेश दिया है. उससे लगने लगा है कि आने वाले समय में यह मसला कहीं दूसरा अयोध्या विवाद न बन जाए. धर्म के नाम पर चुनावी वैतरणी पार करने वाली पार्टियां इस मसले को और आगे बढ़ाएंगी, और धर्म के नाम पर लोगों का ध्रुवीकरण करेगी. अब तक अयोध्या मसले पर यही सब होता रहा है. बीजेपी का उफान अयोध्या विवाद के बाद ही संभव ही संभव हो सका था.
सोमवार को वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय ने मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए हिंदू याचिकाकर्ताओं की अर्जी को सुनवाई के लायक बताया है. ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की तरफ से दायर याचिका में हिंदू याचिकाकर्ताओं का केस खारिज करने की मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की इस अर्जी को रद्द कर दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा है कि वो जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.
बता दें कि पांच हिंदू महिलाओं ने अदालत में याचिका दायर करके मांग की थी कि उन्हें मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार के पास माता श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा करने की इजाजत दी जाए. हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया कि कोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि मस्जिद कमेटी की अर्जी में कोई मेरिट नहीं है. जिला जज ए के विश्वेश्वर के इस फैसले के बाद अब इस मामले की विस्तृत सुनवाई का रास्ता खुल गया है.
20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता और जटिलता को देखते हुए केस को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) से ट्रांसफर करके जिला जज की कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया था. जिसके बाद जून में जिला जज एके विश्वेश ने मामले की सुनवाई शुरू की थी. उन्होंने पिछले महीने पांच हिंदू महिलाओं की याचिका को बहाल रखने या खारिज करने के बारे में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में कहा था कि वह इस मामले में वाराणसी कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी थी.
इस बीच, वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने कहा है कि पूरे वाराणसी में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और अधिकारियों से कहा गया है कि वो अपने-अपने इलाकों में धार्मिक नेताओं के साथ बातचीत करें ताकि शांति बनी रहे. कोर्ट के आदेश से पहले प्रशासन ने आज सुबह से ही पूरे वाराणसी शहर में कड़े सुरक्षा इंतजाम कर दिए थे.
हिंदू याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई है, जबकि मस्जिद कमेटी का कहना है कि इसे वक्फ की जमीन पर बनाया गया था. कमेटी का यह भी कहना है कि उपासना स्थल विशेष उपबंध अधिनियम 1991 के तहत मस्जिद के कैरेक्टर में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. संसद में पारित इस एक्ट के जरिए देश में मौजूद किसी भी उपासना स्थल की स्थिति को उसी स्थिति में बनाए रखने की बात कही गई है, जो देश की आजादी के समय यानी 15 अगस्त 1947 को थी.
अब आगे क्या होगा इस पर सबकी निगाहें टिकी है. मुस्लिम पक्ष अब इस मसले हो अगली अदालत में ले जाएगा. अदालतों का यह खेल चलता रहेगा और बीजेपी की राजनीति कुलांचे मारती रहेगी. इधर जिस तरह से विपक्षी एकता और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की कवायद शुरू हुई है बीजेपी की परेशानी बढ़ी है. ऐसे समय में बीजेपी के लिए ज्ञानवापी का यह मसला उसकी राजनीतिक धार के लिए बड़ा अस्त्र साबित होता दिख रहा है.