Sunday, September 8, 2024
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ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे रहेगा जारी, HC से मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, कहा- न्याय के लिए यह जरूरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मस्जिद इनाजामिया कमेटी की अर्जी को खारिज करते हुए ASI सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने ASI के एक अधिकारी से भी यह समझने की कोशिश की है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद की इमारत को बिना कोई नुक़सान पहुँचाए वैज्ञानिक सर्वे हो सकता है या नहीं. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि न्याय के लिए सर्वे होना जरूरी है. साथ ही ASI सर्वे को तत्काल प्रभाव से प्रभावी कर दिया है.

हालांकि मुस्लिम पक्ष ने सर्वे से ढांचे को नुकसान होने की आशंका जताई थी, जिसके बाद ASI की ओर से एक एफिडेविट दाखिल कर कहा गया था कि सर्वे से कोई नुकसान नहीं होगा. ASI ने यह भी कहा कि अगर खुदाई करने की जरुरत हुई तो उसके लिए पहले कोर्ट से इजाजत ली जाएगी. कोर्ट के फैसले के बाद अब कभी भी ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे शुरू किया जा सकता है. हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन के मुताबिक कोर्ट ने इस बात को भी माना है कि सर्वे को किसी भी स्टेज पर शुरू किया जा सकता है.

दरअसल, 21 जुलाई को मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी का सर्वे कराए जाने के जिला अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की बात को सुनते हुए ASI सर्वे पर अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा था. जिन पर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में मस्जिद के ढांचे को नुकसान होने की बात कहकर सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गया है.

बता दें कि मुस्लिम पक्ष का यह भी कहना है कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत 15 अगस्त 1947 के पहले बने किसी भी धार्मिक स्थल को संरक्षित किया जाएगा और उसके चरित्र को बदलने की कोशिश नहीं की जाएगी. अगर सर्वे में खुदाई होती है तो वो इस क़ानून का उल्लंघन होगा.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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