Home ताज़ातरीन ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरु, अंदर पहुंची ASI की 30 सदस्य टीम, 4 अगस्त तक कोर्ट में देनी है रिपोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरु, अंदर पहुंची ASI की 30 सदस्य टीम, 4 अगस्त तक कोर्ट में देनी है रिपोर्ट

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ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरु, अंदर पहुंची ASI की 30 सदस्य टीम, 4 अगस्त तक कोर्ट में देनी है रिपोर्ट

वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद अब ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरू हो गया है. सर्वे का काम मस्जिद में बने वज़ू खाने को छोड़ कर पूरे परिसर का होगा. अदालत के आदेश के बाद पानी के टैंक को पहले ही सील कर दिया था. इस काम को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 30 सदस्यीय टीम अंजाम दे रही है, सर्वे का काम सोमवार को सुबह सात बजे शुरू हुआ. सर्वेक्षण के दौरान सभी वादियों के एक – एक अधिवक्ता भी शामिल है. इस दौरान मस्जिद परिसर के चारों तरफ भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. इससे पहले पुरातत्व विभाग की टीम रविवार देर शाम वाराणसी पहुंच गई थी. एएसआई सर्वे को लेकर पुलिस कमिश्नर और हिंदू पक्ष ने रविवार को ही एक बैठक भी की.

गौरतलब है कि वाराणसी के जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है. विवादित हिस्से को छोड़ कर कोर्ट ने पूरे परिसर की एएसआई सर्वे को मंजूरी दी है. एएसआई को इस सर्वे की रिपोर्ट जिला जज के सामने चार अगस्त तक पेश कर देनी है. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इसका कड़ा विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जिसपर सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.

वहीं सर्वे का काम शुरू होते ही जिला जज वाराणसी के आदेश को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से कैविएट दाखिल की गई है. कैविएट पेटीशन ई-फाइलिंग मोड में दाखिल हुई है. कैविएट रिपोर्ट हिंदू पक्ष की मुख्य वादिनी राखी सिंह की ओर से दाखिल की गई है. कैविएट रिपोर्ट दाखिल किए जाने का मकसद अगर मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी हाईकोर्ट में जिला जज के फैसले को चुनौती दे तो बगैर उन्हें सुने हाईकोर्ट फैसला ना सुना दे. मस्जिद कमेटी की तरफ से अभी तक हाईकोर्ट में कोई अपील दाखिल नहीं की गई है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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