Home ताज़ातरीन जामिया उर्दू विभाग के 50 साल पूरे, उर्दू विभाग कर रहा है कई कार्यक्रमों का आयोजन

जामिया उर्दू विभाग के 50 साल पूरे, उर्दू विभाग कर रहा है कई कार्यक्रमों का आयोजन

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जामिया उर्दू विभाग के 50 साल पूरे, उर्दू विभाग कर रहा है कई कार्यक्रमों का आयोजन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया का उर्दू विभाग कल अपने गठन की आधी सदी पूरा कर रहा है। 25 नवंबर, 1972 को विभाग को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी गई और यह अस्तित्व में आया। उर्दू विभाग कई कार्यक्रमों का आयोजन कर 50वीं वर्षगांठ मना रहा है।

जामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर कल सुबह 10.30 बजे यूनिवर्सिटी के सीआईटी हॉल में होने वाले कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करेंगी। जामिया के पूर्व वाइस चांसलर श्री सैयद शाहिद मेहदी और प्रसिद्ध विद्वान प्रो. सिद्दीकुर रहमान किदवई विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। प्रो. शेख अकील अहमद (डायरेक्टर नेशनल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज), प्रो. नाज़िम हुसैन अल-जाफरी, रजिस्ट्रार, जामिया और प्रो. मुहम्मद असदुद्दीन, डीन, फैकल्टी ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड लैंग्वेजेस, जेएमआई कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि होंगे।

इस कार्यक्रम में प्रख्यात विद्वान प्रो शरीफ हुसैन काज़मी विशेष वक्ता के रूप में शिरकत करेंगे. इस मौके पर परिचर्चा भी आयोजित की जाएगी जिसमें उर्दू विभाग के पूर्व शिक्षक अपने विचार रखेंगे। इसके बाद मुशायरा होगा, जिसमें कुलपति प्रो. नजमा अख्तर विशेष अतिथि के रूप में शिरकत करेंगी।

इस अवसर पर विभाग की सब्जेक्ट एसोसिएशन “बज़्म जामिया” द्वारा “शाबाहाई उर्दू: सेंचुरी स्टोरी, इन द वर्ड्स ऑफ़ पिक्चर्स” शीर्षक से दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन आज जामिया के फैकल्टी ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड लैंग्वेजेज के डीन, प्रोफेसर मुहम्मद असदुद्दीन ने किया। इसके अलावा जामिया पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई जाएगी और जामिया तराना की प्रस्तुति “बज़्म जामिया” द्वारा की जाएगी।

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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