बिहार जहरीली शराब कांड की जांच के लिए बिहार पहुंची राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम के औचित्य पर राज्य सरकार के वाणिज्य कर मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि एनचआरसी की टीम छपरा में क्या देखने और पता लगाने आयी है, यह सरकार की समझ से परे है. सारण जहरीली शराब से हुई मौत में मानवाधिकार की किस धारा का उल्लंघन हुआ है. इस बारे में भी एनचआरसी को बताना चाहिए. आयोग का मुख्य उद्देश्य मानवाधिकार का संरक्षण, संवर्धन और उल्लंघन रोकना है.
वाणिज्य कर मंत्री ने अपने विभागीय कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में सवालिया लहजे में कहा कि इससे पहले भी देश में शराब से मौतें हुई हैं. जहरीली शराब पीने से बिहार से अधिक मौतें बीजेपी शासित राज्य मध्यप्रदेश, हरियाण, कर्नाटक और गुजरात में हुई हैं. क्या वहां एनचआरसी की टीम जांच को गयी थी ? गुजरात के मोरबी में ब्रिज टूटने से 150 से अधिक मौतें हुई थी, क्या वहां की घटना का संज्ञान एनचआरसी ने लिया था? मौके पर मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार भी मौजूद थे.
वाणिज्य कर मंत्री ने बीजेपी पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि बिहार में शराब की आपूर्ति किन-किन राज्यों से होती है, यह किसी से छूपा हुआ नहीं है. बिहार पुलिस बीजेपी शासित राज्यों से बिहार में शराब तस्कर करने वाले लोगों और आपूर्तिकर्ता को पकड़ कर ला रही है. लेकिन, इस मुद्दे पर बीजेपी के नेता मौन हो जाते हैं. उन्हें शराब पीने से मौत हो सकती है, इस बारे में जनता को जागरूक करना चाहिए. लेकिन, बीजेपी गरीबों की मौत पर राजनीति कर रही है.
उधर, जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने छपरा में जहरीली शराब कांड में एनएचआरसी की टीम को जांच के लिए आने पर कहा है कि ऐसे विषयों पर केवल बिहार में टीम का आना राजनीति से प्रेरित लगता है. यदि ऐसा है तो यह गलत है. ऐसे मामलों में किसी भी संस्था या संगठन को समान रूप से देखना चाहिये और समीक्षा करनी चाहिये. ऐसी ऐसी ही घटना गुजरात में घटी और वहां यदि 150 या 200 लोगों की जान जाती है तो वहां भी टीम जानी चाहिये. उत्तर प्रदेश में यदि घटना हो तो टीम को वहां भी जाना चाहिये. उपेंद्र कुशवाहा ने यह बातें मंगलवार को जदयू प्रदेश मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहीं.