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जम्मू कश्मीर में पहली बार पाकिस्तानी शरणार्थी करेंगे मतदान 

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जम्मू कश्मीर में पहली बार पाकिस्तानी शरणार्थी करेंगे मतदान 

 

जम्मू कश्मीर के आगामी विधान सभा चुनाव में इस बार पाकिस्तानी शरणार्थी वोट डालेंगे. खबर के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में एक लाख से अधिक पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए वह अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करा रहे हैं. यह लोग जम्मू संभाग के 3 जिलों जम्मू, कठुआ और सांबा में जीत या हार के समीकरण पलटने का दावा करते हैं. इन जिलों की 6 विधानसभा सीटों पर इन शरणार्थियों का सीधा असर है. इनके साथ ही वाल्मीकि समाज और गोरखा समुदाय के मतदाता भी अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार चुनाव में हिस्सा लेंगे.

इस समय जम्मू-कश्मीर में मतदाता पंजीकरण अभियान के अंतर्गत विशेष शिविर लगाए गए हैं. इसमें बड़ी संख्या में रिफ्यूजी, वाल्मीकि और गोरखा समाज से जुड़े लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने में नेता लगे हुए हैं. पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष लाभा राम गांधी ने बताया, रिफ्यूजी बड़ी संख्या में हीरानगर, मढ़, बिश्नाह, रणबीर सिंह पूरा और साम्बा में रहते हैं. इनके पास इतने वोट हैं, जिससे वह किसी भी पार्टी के उम्मीदवार की जीत या हार में भूमिका निभा सकते हैं. इसलिए इन वोटों पर सभी सियासी दलों की नजर है.

इन्हें लुभाने के लिए प्रशासन ने तीनों जिलों में बसे हुए पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी परिवारों को लगभग 47,000 हजार कनाल (करीब 2.37 करोड़ वर्ग फीट) भूमि का मालिकाना हक और अन्य सुविधाएं देने का फैसला किया है. इस बारे में राजस्व विभाग को अपनी प्रकिया शुरू करने का आदेश भी जारी कर दिया है.

गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों के 5,746 परिवार हैं. हालांकि, समुदाय के नेताओं का दावा है कि परिवारों की संख्या 22,000 के ऊपर पहुंच गई है. वाल्मीकि समाज के युवा मतदाता रोहित ने न्यूज़ एजेंसी को बताया उन्होंने अपने परिवार के बाकी सदस्यों के साथ मिलकर अपना रजिस्ट्रशेन फॉर्म जमा करवा दिया है.

बूथ स्तर के अधिकारियों को विधानसभा चुनावों के लिए पहली बार मतदान करने वाले इन मतदाताओं के दस्तावेजों की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाताओं की अंतिम सूची 25 नवंबर, 2022 को प्रकाशित की जाएगी. इसके साथ ही आयोग चुनाव मतदान की तारीख घोषित कर सकता हैं.

9 जून, 2018 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हर परिवार को 5.50 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की गई थी. राम गांधी बताते हैं कि दिवाली के आस पास केंद्र पश्चिमी पाकिस्तान रिफ्यूजी के खातों में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर करवा देगी.

राम गांधी ने राजनीतिक आरक्षण के बारे में कहा कि जिस प्रकार से गुज्जर समुदाय के नेता को राज्य सभा में नामित कर के बीजेपी ने गुज्जर बकरवाल समुदाय को लुभाने का प्रयास किया है. ठीक उसी तरह वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी के नुमाइंदे को सांसद बना कर राज्य सभा में भेज सकती है.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के गुज्जर मुस्लिम समुदाय से आने वाले बीजेपी नेता गुलाम अली खटाना को राष्ट्रपति ने राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किया है. माना जा रहा है कि राज्यसभा में गुज्जर समुदाय को पहली बार प्रतिनिधित्व मिला है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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