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जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया केंद्र सरकार को नोटिस 

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जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया केंद्र सरकार को नोटिस 

 

अब देश में जनसँख्या नियंत्रण कानून को लेकर सरकार कुछ करने की तैयारी कर रही है. जनसंख्या को नियंत्रण करना जरुरी है. लेकिन देश के सामने अभी कई और समस्या भी है. बेरोजगारी और महंगाई से परेशान लोगों को अभी निजात दिलाने की जरूरत है. लेकिन सरकार के लोग चाहते हैं कि जनसँख्या नियंत्रण पर जनता का ध्यान भटकाया जाए.

देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि दो बच्चों का नियम लागू करने का आदेश हम कैसे दे सकते हैं? कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि आप बताइए कि इस कानून की जरूरत क्यों हैं? उसके बाद ही हम नोटिस देंगे.

अब इस मामले की 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी. दरअसल, बीजेपी नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और देवकीनंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की है.

सुनवाई शुरुआत में उपाध्याय ने याचिका के संबंध में दलील देते हुए कहा कि यह मामला जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित है. केंद्र सरकार इसमें अपना जवाब भी दाखिल कर चुकी है. उपाध्याय ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा संविधान की समवर्ती सूची में आता है. इसलिए उन्होंने एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें राज्यों को भी पक्षकार बनाने की मांग की गई है.

सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि दो बच्चों की नीति लागू करने की मांग पर कोर्ट आदेश कैसे दे सकता है. इस पर उपाध्याय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है. प्रधानमंत्री भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं. इसके बाद बेंच ने उपाध्याय से कहा कि बहुत सी आदर्श चीजें हैं, लेकिन हम उस आदेश कैसे दे सकता है. आदेश तभी दिया जा सकेगा जब वह लागू हो सके.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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