Thursday, April 18, 2024
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छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर बघेल सरकार का बड़ा फैसला, दो दिसंबर को होगा विधान सभा का विशेष सत्र 

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार आरक्षण को लेकर बड़े फैसले की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक बघेल सरकार आरक्षण संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है. इसके लिए दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र कॉल किया गया है. खबर के मुताबिक आरक्षण पर संशोधन विधेयकों का प्रारूप लगभग तैयार हो चुका है. जिसको 24 नवंबर को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी जा सकती है.

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की बात कहते रहे हैं. ऐसी उम्मीद है कि भूपेश बघेल सरकार नये आरक्षण संशोधन विधेयक में इसे शामिल कर सकती है. यदि ऐसा होता है तो अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत और अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान होगा. करीब 50% से अधिक आबादी वाले अन्य पिछड़ा वर्ग की बात करें तो उनको मंडल आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 27% आरक्षण की भी बात कही जा रही है. यही नहीं केंद्र सरकार से लागू समान्य वर्ग के गरीबों का 10% आरक्षण भी प्रभावी होगा. इस प्रकार देखा जाए तो कुल 81 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा.

2012 के हाईकोर्ट के आदेश के बाद 32 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जनजाति को जबकि 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति को दिया जा रहा था. यही नहीं अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई अवसर पर से कहते हुए सुने जा चुके हैं कि जनसंख्या के अनुपात के अनुसार आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए.

2012 तक छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति वर्ग को 16% आरक्षण दिया जा रहा था. 2012 में बदलाव के बाद इसे 12% कर दिया गया. गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने इसी का विरोध करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. यदि प्रदेश सरकार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण 13% करती है तो अनुसूचित जाति वर्ग की नाराजगी का सामना उसे करना पड़ सकता है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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