Thursday, March 28, 2024
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छठ महापर्व : खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत आज से शुरू

लोक महापर्व छठ आज से शुरू हो गया. हालाकि इस महापर्व की शुरुआत कल शुक्रवार से ही नहाय खाय के साथ शुरू हो गई थी, लेकिन आज से व्रती 36 घंटे तक निर्जला रहकर सूर्यदेव की उपासना करेंगे.

बता दें कि पंचांग के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है और यह पर्व लगातार चार दिनों तक चलता है. साथ ही इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा – अर्चना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं. आपको बता दें कि शनिवार को संध्या में खरना अनुष्ठान होगा और फिर छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल उपवास भी आरंभ हो जाएगा.

शास्त्रों के अनुसार जो लोग छठी पूजा करते हैं. उनके घर में सुख- समृद्धि का वास रहता है. साथ ही सूर्य देव की आराधना से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही छठ मैया संतान सुख प्रदान करने वाली भी मानी जाती हैं. छठ व्रत करने से घर पर सुख-शांति आती है. इस व्रत से संतान और सुहाग की आयु लंबी होती है.

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना तो वहीं तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का समापन किया जाता है. आपको बता दें कि नहाय खाय के पहले दिन प्रात: काल में छठ व्रती को नदी – तालाब या अपने घर पर ही स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करने का विधान है. साथ ही इस दिन नए वस्त्र धारण करके सूर्य देव के समक्ष व्रत का संकल्प लिया जाता है. मान्यता है कि जो लोग छठ पर्व के दौरान सूर्य देव की उपासना करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं. उनको सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

छठ पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहते हैं. इस साल खरना 29 अक्टूबर 2022 को है. इस दिन छठ व्रती गुड की खीर का प्रसाद बनाती हैं. साथ ही खीर खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है और छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है. वहीं तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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