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चीन में जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी, नारे लग रहे डिक्टेटरशिप नहीं, डेमोक्रेसी चाहिए

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चीन में जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी, नारे लग रहे डिक्टेटरशिप नहीं, डेमोक्रेसी चाहिए

चीन में अब लोकतंत्र की आवाज गूंजने लगी है. लोग सड़कों पर उतर कर जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. और लोकतंत्र की मांग ज्यादा मुखर हो गई है. बता दें कि चीन में एक तरफ कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लोग जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. लोग इसके विरोध में नारेबाजी करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफा मांग रहे हैं. ये प्रदर्शन 25 नवंबर को शिंजियांग के एक अपार्टमेंट में लगी आग के बाद उग्र हो गया. दरअसल, जीरो कोविड पॉलिसी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के चलते दमकलकर्मी वक्त रहते आग बुझाने यहां नहीं पहुंच पाए. इससे 10 लोगों की मौत हो गई थी. चीन के प्रमुख शहर शंघाई में प्रदर्शनकारियों ने पूरे चीन में लगा लॉकडाउन खत्म करने की मांग की.

सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. एक वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग सड़कों पर बैनर लेकर खड़े हैं. बैनर पर लिखा है- नीड ह्यूमन राइट, नीड फ्रीडम यानी हमें मानव अधिकार और आजादी चाहिए.

एक अन्य वीडियो में लोगों को शी जिनपिंग से इस्तीफा मांगते सुना गया. प्रदर्शनकारियों ने कहा- स्टेप डाउन शी एंड कम्युनिस्ट पार्टी. यानी शी और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता से हट जाएं. हमें कोरोना टेस्ट की जरूरत नहीं है. हमें आजादी चाहिए. हमें डिक्टेटरशिप की बजाय डेमोक्रेसी चाहिए.

बीजिंग में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. यहां एक यूनिवर्सिटी के करीब 100 स्टूडेंट्स सरकार के विरोध में प्रोटेस्ट करने लगे. स्टूडेंट्स ने दीवारों पर ‘नो टू लॉकडाउन, यस टू फ्रीडम. नो टू कोविड टेस्ट, यस टू फूड’ लिखा. एक वीडियो में कुछ सिक्योरिटी गार्ड इस स्लोगन को अपनी जैकेट से छिपाते नजर आए. लाल रंग से लिखे गए इस स्लोगन पर बाद में ब्लैक पेंट कर दिया गया.

एक वीडियो में यूनिवर्सिटी स्टाफ को स्टूडेंट्स को धमकी देते सुना गया. एक अधिकारी कह रहा था- आज जो प्रदर्शन किए हैं, उसका अंजाम भुगतना होगा. इसके जवाब में स्टूडेंट्स ने कहा- आपको भी अंजाम भुगतने होंगे. आपके साथ पूरा देश इसका अंजाम भुगतेगा.

उधर, झेंग्झौ में कोरोना पाबंदियों को लेकर आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी के प्लांट में सैकड़ों कर्मचारी सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए. प्लांट में एक महीने से कड़ी पाबंदियां हैं. कर्मचारियों ने खाने, दवा और सैलरी को लेकर प्रदर्शन किया.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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