ये बात सही है कि जिनपिंग चीन के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति हैं, लेकिन यह भी सच है कि चीनी समाज अब उन्हें हटाने को तैयार है. शी जिनपिंग पहले चीनी राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनसे चीनी लोग अपना पद छोड़ने के लिए कह रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं है, जब जिनपिंग लोगों का गुस्सा झेल रहे हैं. इससे पहले भी कई मुद्दों पर चीन की जनता शी जिनपिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरी है. अब शी जिनपिंग के सख्त कोविड उपायों के विरोध में लोग उनके इस्तीफे की मांग को लेकर देश भर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
इतना ही नहीं लोगों ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एकदलीय शासन को खत्म करने की मांग भी उठाई है. सड़कों पर उतरे लोगों ने “पद छोड़ो, शी जिनपिंग! पद छोड़ो, कम्युनिस्ट पार्टी!” जैसे नारे लगाए हैं साथ ही कहा कि हम आजीवन शासक नहीं चाहते. हम ऐसा राजा नहीं चाहते. माना जा रहा है कि सीसीपी लोगों पर अपनी पकड़ सही ने बना नहीं पा रही है, और लोगों के गुस्से का मुख्य कारण कोविड-19 महामारी से ठीक से न निपटना है.
लोगों ने जोर देकर कहा है कि शी के नेतृत्व वाली सरकार की शून्य-कोविड नीति के तहत लागू किए गए एंटी-वायरस उपाय महामारी को रोकने में विफल रहे हैं, और उनकी स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और आजीविका को नुकसान पहुंचाया है. विशेष रूप से, चीन कड़े प्रतिबंधों का पालन करता रहा है, जिसमें लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं.
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, शी जिनपिंग के इस्तीफे की लोगों की मांग असाधारण है और इससे राजनीतिक तख्तापलट हो सकता है. रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन में चल रही स्थिति के परिणामस्वरूप सीसीपी के शीर्ष नेताओं और शी जिनपिंग के प्रतिद्वंद्वियों द्वारा राजनीतिक तख्तापलट हो सकता है.
छात्रों ने बीजिंग में सिंघुआ विश्वविद्यालय में शी और सीसीपी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और लोकतंत्र और कानून का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे नारे लगाए. शंघाई, वुहान, उरुमकी, चेंगदू और ग्वांगझू सहित पूरे चीन में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं, यहां बड़ी संख्या में युवा शी जिनपिंग के खिलाफ सड़कों पर उतर आए.