पूर्वी लद्दाख में चीन की संदिग्ध हरकतें आज भी जारी हैं. कुछ जगहों पर चीन की लाल सेना आज भी काबिज है. ऐसा पहले कभी नहीं था. हालांकि भारत और उसकी सेना चीन को जबाव देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. लेकिन चीन के रुख में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है. इधर पूर्व रक्षा मंत्री और एनसीपी नेता शरद पवार ने देश को आगाह किया है. पवार ने कहा है कि भारत के कुछ हिस्सों में चीन आक्रामक हो गया था. केंद्र सरकार ने कुछ लोगों को इसके बारे में सूचना दी. एके एंटनी और मैं उन लोगों में शामिल थे. हम दोनों देश के रक्षा मंत्री रह चुके हैं. यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. इस मामले में देश को एकजुट होना चाहिए. हमें यह देखने की जरूरत है कि हमारे देश की एक इंच जमीन पर भी किसी का कब्जा न हो सके.
पवार ने आगे कहा कि सीमा पर चीन समय-समय पर आक्रामक रवैया अपनाता रहता है. सरकार ने इस बारे में हम लोगों के साथ सूचना साझा की है. इस मुद्दे पर हमें राजनीति नहीं करनी है. हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि अपने देश की जमीन पर किसी का भी कब्जा नहीं होने देंगे.
उधर मिल रही खबर के मुताबिक़ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने को लेकर भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 16वें दौर की वार्ता रविवार को भारतीय क्षेत्र चुशुल मोल्दो में होगी. इस बैठक में भारत गतिरोध वाले क्षेत्रों में मई, 2020 से पूर्व की स्थिति की तत्काल बहाली पर जोर देगा. सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी.
बता दें कि गलवान घाटी में जून, 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच सीमा पर स्थिति सामान्य करने को लेकर अब तक 15 दौर की वार्ता हो चुकी है. इन वार्ताओं के दौरान पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील इलाके से तो चीन और भारत की सेनाएं पीछे हट चुकी हैं. मगर, तीन स्थान हॉट स्प्रिंग, डेमचौक और डेप्सांग के इलाकों में अभी भी दोनों देशों की सेनाएं टकराव की स्थिति में हैं.
दोनों देशों की तरफ से करीब 50-50 हजार जवान वहां तैनात हैं. भारत लगाताार चीन के समक्ष इन क्षेत्रों में मई, 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग करता रहा है.
दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 15वें दौर की वार्ता गत 11 मार्च को हुई थी. इस तरह चार महीने से भी अधिक समय के बाद अगली बैठक तय हो पाई है. इससे पूर्व 14वें दौर की वार्ता 12 जनवरी को हुई थी, लेकिन इन दोनों वार्ताओं में कोई प्रगति नहीं हुई.