Monday, December 9, 2024
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खाने-पीने की चीजों से शरीर में हो रही प्लास्टिक की एंट्री

प्लास्टिक को बंद करने और इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए दुनिया भर में अलग-अलग अभियान चलाए जा रहे हैं। कुछ समय पहले यह खबर आई थी कि समुद्री जीवों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पहुंच रहा है, जिससे उनकी मौत हो रही है।

अब नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली रिसर्च की है। उन्होंने इंसान के खून में भी प्लास्टिक के टुकड़े ढूंढ निकाले हैं। ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है। ये टुकड़े दिखने में बहुत छोटे यानी माइक्रोप्लास्टिक हैं। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 22 लोगों के नमूने लिए थे, जिनमें से 17 के खून में प्लास्टिक के पार्टिकल पाए गए। इस बात को बेहद चिंताजनक बताया जा रहा है।
क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक?

माइक्रोप्लास्टिक 5 मिलीमीटर या इससे कम आकार के छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। यह इतने छोटे होते हैं कि बिना मैग्निफाइंग ग्लास के इन्हें आंखों से देख पाना मुश्किल है। वैज्ञानिक अभी भी इन छोटे पार्टिकल्स के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। ये पानी, खाने के सामान और जमीन की सतह जैसी जगहों में मौजूद रहते हैं। इनके जरिए ये शरीर में पहुंचते हैं।

खून में मिले 5 तरह के माइक्रोप्लास्टिक

रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को इंसानों के खून में 5 तरह के प्लास्टिक मिले हैं। इनमें मुख्य रूप से पॉलीमेथाइल मेथैक्रिलेट (PMMA), पॉलीप्रोपाइलीन (PP), पॉलीस्टाइनिन (PS), पॉलीइथाइलीन (PE), और पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (PET) शामिल हैं।

इसके अलावा 23% लोगों में पॉलीइथाइलीन (PE) मिला, जो प्लास्टिक बैग में पाया जाता है। केवल एक व्यक्ति में पॉलीमेथाइल मेथैक्रिलेट (PMMA) मिला और किसी भी खून के नमूने में पॉलीप्रोपाइलीन (PP) नहीं था।

शरीर में ऐसे होती है प्लास्टिक की एंट्री

प्लास्टिक हवा के साथ-साथ खाने-पीने की चीजों से भी इंसान के शरीर में एंट्री कर सकता है। लोगों को यह पता ही नहीं होता कि प्लास्टिक के छोटे-छोटे पार्टिकल खाने, पानी पीने और सांस लेने के दौरान उनके शरीर के अंदर जा रहे हैं। नीदरलैंड्स के व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम के प्रोफेसर डिक वेथाक ने कहा कि चिंतित होना उचित है क्योंकि माइक्रोप्लास्टिक के ये पार्टिकल इंसान के पूरे शरीर में भी जा सकते हैं। ये एक जानलेवा बीमारी का कारण भी बन सकते हैं। अभी इस विषय पर और रिसर्च की जरूरत है।

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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