Thursday, December 26, 2024
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क्या रूबिया सईद का अपहरण यासीन मलिक ने किया था ?

 

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मालिक वैसे जेल में बंद हैं, लेकिन करीब 31 साल बाद यासीन मलिक पर जो जो आरोप लगे हैं, वह काफी चौंकाने वाले हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने किया था. रूबिया ने शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत के सामने गवाही में यासीन मलिक समेत 4 आतंकियों की पहचान की, जिन्होंने उनका अपहरण किया था. रूबिया पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की बहन हैं.

रूबिया फिलहाल तमिलनाडु में रहती हैं. वो पहली बार इस मामले में अदालत के सामने पेश हुई थी. रूबिया का अपहरण 8 दिसंबर 1989 को हुआ था. उनकी रिहाई के लिए 13 दिसंबर को सरकार को 5 आतंकवादी छोड़ने पड़े थे. उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद भारत के गृहमंत्री थे. सीबीआई ने 1990 की शुरुआत में इस केस की जांच अपने हाथ में ले ली थी.

रूबिया के वकील अनिल सेठी ने बताया कि वह सीबीआई के सामने अपने पहले दिए गए बयान पर कायम हैं. उन्होंने सीबीआई जांच के दौरान उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर यासीन मलिक और तीन अन्‍य की पहचान की. अपहरण के 31 साल से अधिक समय बाद मलिक और नौ अन्य के खिलाफ अदालत ने पिछले साल जनवरी में आरोप तय किए थे.

सेठी के मुताबिक सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय की गई है. अगली तारीख पर रूबिया भी मौजूद रहेंगी. यासीन मलिक ने क्राॅस एग्जामिनेशन के लिए खुद को व्यक्तिगत तौर पर जम्मू ले जाने की मांग की है. हालांकि यासीन को जम्मू लाया जाएगा या नहीं, इस बात की जानकारी नहीं मिली है.

रूबिया सईद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में 8 दिसंबर 1989 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी. FIR की कॉपी के मुताबिक, वो एक ट्रांजिट वैन में श्रीनगर के एक अस्पताल से अपने घर नौगाम के लिए जा रही थीं. वो डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद अस्पताल में इंटर्नशिप कर रही थी. रिहाई के बदले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने 5 आतंकियों हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर और शेर खान को रिहा करने की शर्त रखी थी. शर्त पूरी होने के बाद ही रूबिया को छोड़ा गया.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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