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क्या यूक्रेन दो टुकड़ों में बंट जायेगा ?

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क्या यूक्रेन दो टुकड़ों में बंट जायेगा ?

रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत कब होगा अभी किसी को पता नहीं. नाटो और अमेरिका के तमाम पहल और कोशिशों के बाद भी रूस लगातार यूक्रेन को तबाह कर रहा है और उधर यूक्रेन भी अपनी पूरी ताकत के साथ रूस से लड़ता हुआ दिख रहा है. हालात ये हैं कि यूक्रेन पूरी तरह से खंडहर में तब्दील होता हुआ दिख रहा है.
एक महीने से ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत किब, कहां और कैसे होगा, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. यूक्रेन के चीफ ऑफ डिफेंस इंटेलिजेंस के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत कोरिया जैसा हो सकता है. यूक्रेन के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ किर्लो बुदानोव के मुताबिक एक महीने की लड़ाई के बावजूद रूस की सेना कीव पर कब्जा कर वहां की सरकार को नहीं हटा पाई है. ऐसे में व्लादिमीर पुतिन के पास यूक्रेन के टुकड़े करने का विकल्प है. उन्होंने कहा कि कोई शक नहीं है कि पुतिन कोरिया की तरह दो देशों के बीच एक दीवार खीचेंगे जिसमें एक कब्जे वाला यूक्रेन होगा और एक बिना कब्जे वाला यूक्रेन होगा.
उन्होंने आगे कहा कि हमें लगता है पुतिन कोरिया की तरह ही यूक्रेन का भी विभाजन कर देंगे, जैसे नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया आपस में बंटे हुए हैं और एक दूसरे से लड़ते रहते हैं. किर्लो बुदानोव ने कहा कि 1950-53 के बीच हुए विवाद के बाद से लेकर अबतक उत्तर और दक्षिण कोरिया आपस में उलझे रहे हैं और वहां शांति नहीं है. पुतिन ऐसा ही कुछ यूक्रेन के साथ भी करना चाहते हैं. गौरतलब है कि पिछले दिनों रूस ने भी ऐसे ही कुछ संकेत दिए थे. रूस ने कहा था कि वो अपनी सेना को पूर्वी यूक्रेन की तरफ फोकस करने को कह सकता है.
किर्लो बुदानोव के मुताबिक रूस यही चाहेगा कि यूक्रेन के भीतर एक अलग देश हो जो अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दे लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से रूस का उसपर कब्जा हो. बुदानोव ने ये भी कहा कि रूस चाहेगा कि उसके कब्जे वाला इलाका यूक्रेन से पूरी तरह कटा रहे. इसके लिए वो ये भी कह सकता है कि उस इलाके में यूक्रेन की करेंसी नहीं चलेगी. यही नहीं, रूस उस इलाके में यूक्रेन की तरह ही अलग सरकार चलाने की कोशिश करेगा. बुदानोव ने कहा कि हाल में रूस के कदम को देखते हुए तो यही लगता है कि वो कब्जे वाले यूक्रेन को ढाल बनाकर बातचीत की टेबल पर बैठेगा और अपने मन मुताबिक मांगे रखेगा.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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