Monday, December 9, 2024
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क्या भारतीय मूल के ऋषि सुनक बनेंगे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ?

 

ब्रिटैन में अचानक सब कुछ बदल गया है. बोरिस जॉनसन सरकार के खिलाफ ही उनके नेता मंत्री हो गए और फिर इस्तीफे का दौर शुरू हो गया. यह सब भ्रष्टाचार को लेकर हुआ है. बोरिस जॉनसन पीएम पद से इस्तीफ़ा दे चुके हैं और अब कोई दूसरा पीएम बनेगा.

बहरहाल, सवाल यह उठ रहा है कि जॉनसन के बाद ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ? रेस में 6 नाम हैं. सबसे आगे भारतीय मूल के ऋषि सुनक माने जा रहे हैं. हालांकि पीएम पद के इस दौड़ में कई और नेताओं के नाम भी शामिल हैं.

जॉनसन के इलेक्शन कैम्पेन में ऋषि का अहम रोल रहा था. प्रेस ब्रीफिंग में भी सरकार के चेहरे के तौर पर ज्यादातर वही नजर आते रहे हैं. कई मौके तो ऐसे आए जब टीवी डिबेट में बोरिस की जगह पर ऋषि ने हिस्सा लिया. इसको लेकर विपक्षी लेबर पार्टी ने सवाल भी उठाए थे और पूछा था कि असली प्रधानमंत्री कौन है.

सुनक की शादी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता से हुई है. 2015 में वो पहली बार सांसद बने. ब्रेक्जिट का पुरजोर समर्थन कर अपनी पार्टी में ताकतवर बने. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने की बोरिस जॉनसन की पॉलिसी का समर्थन किया. लोकप्रियता के बावजूद सुनक को पत्नी अक्षता पर लगे टैक्स चोरी के आरोपों के चलते आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा.

दरअसल, अक्षता के पास ब्रिटिश नागरिकता नहीं हैं. ब्रिटिश कानून के मुताबिक, अक्षता को ब्रिटेन के बाहर से होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. सिर्फ ब्रिटिश नागरिकों को यह टैक्स देना पड़ता है. इस वजह से सुनक और अक्षता पर सवाल उठे. एक आरोप यह भी है कि सुनक ने भले ही कोरोना दौर में राहत दी हो, लेकिन नागरिकों पर टैक्स का बोझ बढ़ाने में भी कसर बाकी नहीं रखी.

पीएम के दौर में लिज जनता के बीच काफी लोकप्रिय हैं. उनकी एक फोटो वायरल हुई थी जिसमें वो टैंक में बैठीं थी. 1986 में ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर की भी ऐसी ही फोटो सामने आई थी. 46 साल की लिज ट्रस का पूरा नाम एलिजाबेथ मैरी ट्रस है. वो साउथ वेस्ट नॉर्थफोक की सांसद हैं. लिज फॉरेन कॉमन वेल्थ एंड डेवलपमेंट अफेयर्स सेक्रेटरी हैं. इस समय काफी पॉपुलर हैं. 46 साल की ट्रस दो साल इंटरनेशनल ट्रेड सेक्रेटरी भी रहीं. पिछले साल उन्हें यूरोपियन यूनियन से बातचीत का अहम जिम्मा सौंपा गया था.

जेरेमी हंट भी पीएम की दौड़ में शामिल हैं. हंट ने दो सालों तक पूर्व हेल्थ सेक्रेटरी के तौर पर काम किया है. 2022 के शुरुआत में हंट ने कहा था- मेरी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा अभी मरी नहीं है.

55 साल के फॉरेन सेक्रेटरी 2019 के चुनाव में दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता थे. उनकी पब्लिक इमेज बेदाग रही है. पार्टी के लोगों को विश्वास है कि जेरेमी बिना किसी कॉन्ट्रोवर्सी पैदा किए गंभीरता के साथ सरकार चलाएंगे. हंट को जॉनसन की नीतियों का सख्त विरोधी माना गया. अमेरिका से रिश्तों को लेकर हंट ने साफ कहा था- हमें बराबरी का दर्जा चाहिए.

नदीम जाहवी भी पीएम की रेस में हैं. नदीम की ही बदौलत इंग्लैंड में वैक्सीन अभियान तेजी से पूरा किया जा सका था. कोरोना काल में इन्हें वैक्सीन मिनिस्टर के नाम से पहचाना जाने लगा था.

सुनक के इस्तीफे के बाद जॉनसन ने नादिम जाहवी को नया वित्त मंत्री नियुक्त किया है. पीएम के दावेदारों में भी नदीम जाहवी कुछ अलग हैं. दरअसल, नदीम बचपन में ईराक से बतौर शरणार्थी ब्रिटेन आए थे. 2010 में वो पहली बार सांसद बने. जाहवी ने हाल ही में कहा था- अगर मुझे ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुना जाता है, तो ये मेरी खुशनसीबी होगी.

पेनी मॉर्डेंट भी उम्मीदवार बताये रहे हैं. पेनी फिलहाल जूनियर ट्रेड मिनिस्टर हैं. पार्टीगेट स्कैंडल को लेकर उन्होंने अपनी ही सरकार की काफी आलोचना की थी. पूर्व डिफेंस मिनिस्टर पेनी भी प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं. पेनी को पिछले चुनावों में हंट का समर्थन करने के लिए जॉनसन ने सरकार से हटा दिया था. पेनी यूरोपियन यूनियन छोड़ने का समर्थन करने वालों में सबसे आगे थीं. जब ब्रिटेन में यूरोप यूनियन छोड़ने का मुद्दा गर्माया हुआ था, तो पेनी ने एक ईवनिंग टीवी शो में भाग लिया था. इससे उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं.

इसके अलावे बेन वॉलेस भी वहाँ के चर्चित नेता हैं, और वो भी पीएम पद की दौड़ में शामिल हैं. 52 साल के बेन कंजरवेटिव्स पार्टी का लोकप्रिय चेहरा हैं. बतौर सैनिक नॉर्थ आयरलैंड, जर्मनी और सेंट्रल अमेरिका में तैनात रह चुके हैं.

बेन वॉलेस डिफेंस मिनिस्टर हैं. ब्रिटिश रॉयल आर्मी में रह चुके हैं. रूस-यूक्रेन जंग में ब्रिटेन के रुख को लेकर चर्चा में आए. यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचाने में उनका अहम रोल है. 1999 में उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ. 2005 में संसद पहुंचे. 2016 में बेन होम सिक्योरिटी मिनिस्टर थे. अफगानिस्तान से ब्रिटिश नागरिकों को बाहर निकालने में उनका अहम योगदान था.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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