Home विदेश क्या पाकिस्तान कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गिलगिट – बाल्टिस्तान चीन को सौप देगा ?

क्या पाकिस्तान कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गिलगिट – बाल्टिस्तान चीन को सौप देगा ?

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क्या पाकिस्तान कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गिलगिट – बाल्टिस्तान चीन को सौप देगा ?

 

अखिलेश अखिल

 

श्रीलंका की तरह ही पाकिस्तान भी जबरदस्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है. श्रीलंका को तो चीन ने तबाह कर ही दिया है, अब पाकिस्तान भी कर्ज के बोझ से दबकर कई ऐसे फैसले करता जा रहा है जिससे भारत की परेशानी भी बढ़ सकती है. जानकारी के मुताबिक चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए कश्मीर के अवैध कब्जे वाला गिलगिट – बाल्टिस्तान इलाका चीन को सौंप सकता है. अगर ऐसा होता है तो भारत से तनाव गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है. भारत इस इलाके को अपना हिस्सा मानता है.

ऐसा करने से पाकिस्तान को चीन का लोन चुका देने से कुछ राहत तो मिल सकती है, लेकिन अमेरिका इस हरकत से नाखुश हो सकता है. जिससे पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाली मदद पर भी मुश्किलें आ सकती हैं. वहीं चीन, जो दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाने के मौके ढूंढ रहा है. उसके लिए यह एक बहुत बड़ा मौका हो सकता है, क्योंकि गिलगिट-बाल्टिस्तान से होकर ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर गुजरता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक “गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका आने वाले समय में टकराव के नए स्थान के रूप में उभर सकता है. हालांकि, यह इलाका हथियाना चीन के लिए इतना भी यह आसान नहीं होगा. अतंरराष्ट्रीय विरोध के साथ-साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान में रहने वाले भी इसके खिलाफ सड़क पर उतर सकते हैं.” पहले से ही सीपीईसी को लेकर वहां के लोग नाराज चल रहे हैं. गिलगिट – बाल्टिस्तान इलाके में सरकार ने पहले से ही लोकल प्रशासन को कम ताकत दे रखी हैं. गिलगिट-बाल्टिस्तान में लोग रोजगार, बिजली, शिक्षा जैसे जरूरी सेवाएं न मिल पाने की वजह से परेशान हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान में कुल 9% आत्महत्याएं इसी इलाके में होती हैं.

वहीं, दूसरी ओर पिछले साल अफगानिस्तान से निकलने के बाद अमेरिका इस स्थिति में नहीं है कि वह चीन को गिलगिट-बाल्टिस्तान पर कब्जा करने दे. अमेरिकी नेता बॉब लान्सिया के मुताबिक- अगर गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका भारत में होता या एक स्वतंत्र देश होता तो अमेरिका चीन को करारा जवाब देने में सक्षम होता. अमेरिकी फौज अफगानिस्तान में हथियार पहुंचाने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहती.

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