पहली दफा विपक्ष में हरकत जारी है, और बीजेपी की परेशानी बढ़ी है. ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी की मकबूलियत में कोई कमी आयी हो और बीजेपी का जनाधार घट गया हो. मामला यह भी नहीं है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की राजनीति पर पार्टी के भीतर ही नाराजगी हो और संघ परिवार इस सरकार के फैसले से बहुत ही क्षुब्ध हो. मामला तो विपक्ष की तैयारी और घेराबंदी को लेकर है. सोनिया गांधी दिल्ली पहुँच रही है और खबर है कि पूरा विपक्ष एक बार फिर से सोनिया से मिलने को तैयार है. लगे हाथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार एक बार फिर से अपनी पार्टी के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. पवार की यह अध्यक्षता बहुत कुछ कहती है. खबरे तो यहां तक आ रही है कि पवार को विपक्ष का पीएम उम्मीदवार बनाया जा सकता है और नीतीश कुमार को विपक्ष का संयोजक. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है.
2024 लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का समय बाकी है, लेकिन अभी से बीजेपी सहित सभी विपक्षी पार्टी अपने तैयारी में जुट गये हैं. बीजेपी से अलग होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए हाल ही में दिल्ली का दौरा किया. जिसके बाद खबर आयी कि नीतीश अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. अब एनसीपी चीफ शरद पवार को लेकर खबर आ रही है.
एनसीपी ने सर्वसम्मती के साथ एक बार फिर से शरद पवार को अध्यक्ष चुन लिया है. शरद पवार अगले 4 साल तक एनसीपी की कमान संभालेंगे. दिल्ली में आयोजित कार्यसमिति की बैठक को उन्होंने संबोधित किया और कहा, कोरोना काल के बाद हम एक साथ मिल रहे हैं, सभी के साथ संवाद करने का अवसर मिल रहा है, यह बड़ी खुशी की बात है. उन्होंने कहा, आज की मीटिंग और कल का अधिवेशन एक अलग तरह से हो रहा है. इस अधिवेशन की जिम्मेदारी पहली बार राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस और राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले हमारे सहयोगियों ने अपने कंधे पर लिया है. इसके ठीक एक दिन बाद उनके 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर चर्चा होने लगी.
जिस तरह से उन्होंने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी विपक्षी दल को बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की, ऐसी अटकलें लगायी जाने लगी है कि शरद पवार विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. लेकिन एनसीपी के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने इन अटकलों पर विराम लगाया और कहा, शरद पवार न तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और न हैं. लेकिन ये सब राजनीतिक बयान हैं. भीतर ही भीतर क्या खिचड़ी पक रही है इसे कौन जाने. खबर है कि सोनिया गाँधी के साथ सभी विपक्षी नेताओं की बैठक होगी और इसके बाद किसी नाम की घोषणा होगी.
उधर, शरद पवार के अलावा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम की भी चर्चा हो रही है. हालांकि नीतीश कुमार ने पहले ही इससे इनकार कर दिया था. यह चर्चा तक शुरू हुई, जब उन्होंने दिल्ली का दौरा किया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बिहार की यात्रा की. केसीआर ने बिहार दौरा के दौरान नीतीश कुमार और अन्य विपक्षी नेताओं को बीजेपी के खिलाफ एक साथ आने की अपील की थी.
नीतीश कुमार के अलावा 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में केसीआर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के नामों की चर्चा हो रही है.
इन चर्चाओं के बीच सबसे मुफीद उम्मीदवार के रूप में पवार का नाम अब सबसे आगे है. यह साफ़ हो गया है कि जिस तरह से नीतीश कुमार सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे हैं. उन्हें विपक्षी पार्टियों का संयोजक बनाया जा सकता है. सोनिया गाँधी के साथ जब बैठक होगी, उसमे बहुत कुछ तय हो सकता है. आगामी दो दिनों में उद्धव ठाकरे और विपक्ष के सभी नेता एक बार फिर से दिल्ली में मिलने जा रहे हैं. इस मुलाक़ात में पवार की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. उधर राहुल गाँधी ने साफ़ कर दिया है कि वो अपनी पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनेंगे. अब साफ़ हो गया है कि इस बार किसी गैर गाँधी परिवार का नेता ही पार्टी का अध्यक्ष बनेगा. ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए नीतीश और पवार की भूमिका अधिक होती जा रही है.
ममता बनर्जी और केसीआर भी चाहते हैं कि पवार कोई बड़ी भूमिका अदा करें. लेकिन यह सब सोनिया के साथ बैठक में तय होना है.