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क्या दुनिया फिर से तीसरे विश्वयुद्ध के कगार पर खड़ी है ?

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क्या दुनिया फिर से तीसरे विश्वयुद्ध के कगार पर खड़ी है ?

 

जहां पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझते हुए अपनी आंतरिक समस्याओं से हलकान हो रही है, तो वही रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब महाविनाश की तरफ बढ़ती दिख रही है. वर्चस्व की यह लड़ाई कहां खत्म होगी कोई नही जानता. लेकिन जिस तरह से रूस की ओर से बयानात सामने आए हैं. वह मानवता के लिए किसी संकट से कम नहीं है.

यूक्रेन से युद्धरत रूस ने तीसरे विश्वयुद्ध की खुली धमकी दी है और कहा है कि अगर यूक्रेन को नाटो यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन का सदस्य बनाया गया तो यह युद्ध तीसरे विश्व युद्ध में तब्दील हो जाएगा और फिर क्या होगा इसकी कल्पना ही की जा सकती है.

रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी अलेक्सेंडर बेनेदिकतोब ने साफ बता दिया है कि यूक्रेन भी जनता है कि अगर वो नाटो में शामिल हुआ तो यह युद्ध तीसरे विश्वयुद्ध में बदल जाएगा. अलेक्सेंडर पुतिन के काफी करीबी माने जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा है की नाटो भी इस बात को जनता है और फिर भी नाटो ऐसा करता है तो रूस अपने कदम पर कायम रहेगा.

बता दें कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी परमाणु हमले की कई बार धमकी दे चुके है. उधर रूस की धमकी को समझकर नाटो देश भी परमाणु युद्धाभ्यास की तैयारी में है, ताकि रूस ने अगर परमाणु हमला कर दिया तो उससे निपटा जा सके. लेकिन नाटो की परेशानी कुछ और भी है. यूनाइटेड नेशन की सबसे बड़ी समस्या यूक्रेन को बचाना है. और रूस द्वारा यूक्रेन के चार इलाको पर किए गए कब्जे को यूक्रेन में फिर शामिल कराने का है. यूनाइटेड नेशन ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों में रूसी कब्जे की निन्दा की है. इसके साथ ही रूस को पीछे हटने के लिए भारी मतदान भी किया.

मतदान के जरिए दुनिया भर के देशों ने सात महीने से जारी युद्ध और रूस की अपने पड़ोसी देश के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश पर कड़ा विरोध जताया है. संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 143 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है. वही पांच देशों ने इसके खिलाफ मत दिया, जबकि भारत समेत 35 देश रूस के खिलाफ मतदान में अनुपस्थित रहे. माना जा रहा है कि युद्ध के बाद यूएन की तरफ से यूक्रेन को दिया गया यह सबसे बड़ा समर्थन है. यूएन के इस खेल से रूस और भी बौखला गया है. माना जा रहा है की यूएन जैसे ही नाटो की सदस्यता यूक्रेन को देगा, रूस हमला करेगा और इस हमले में कौन से हथियार चलेंगे कहना मुश्किल है.

उधर, रूस के आक्रामक तेवर को देखते हुए नाटो ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है. अपनी तैयारी और रूस के संभावित परमाणु हमले को भांप कर नाटो ने कल एक बड़ी बैठक की है. खबर मिल रही है कि नाटो के देश रूस का मुकाबला करने के लिए परमाणु हमले का युद्ध अभ्यास कर सकते हैं. इस पर रूस की भी नजर है. माना जा रहा है कि इससे पहले ही रूस कोई बड़ा खेल कर सकता है.

खबर ये भी है कि यूक्रेन से युद्ध करने में रूस की अर्थव्यवस्था भी कमजोर हुई है. दुनिया के कई देशों से उसके रिश्ते भी खराब हुए है. ऐसी स्थिति में अब रूस के पास एक ही विकल्प है कि या तो वह नाटो का सामना लंबे समय तक करे या फिर परमाणु हमले के जरिए इस खेल को ही खत्म कर दे. रूस जनता है कि परमाणु हमले के परिणाम भयावह होंगे, लेकिन वह इस बात को भी स्वीकार करने तो तैयार नही है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने. रूस ने इसे इज्जत का विषय बना लिया है.

उधर रूस के साथ भी 30 से ज्यादा देश खड़े हैं जो आधुनिक हथियारों से लैस हैं. नाटो की हर गतिविधियों पर नजर टिकाए रूस भी परमाणु हमले और युद्ध अभ्यास की तैयारी में है. ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा है कि रूस भी वार्षिक परमाणु युद्ध्याभ्यास करेगा.

फिलहाल अनिश्चितता के बादल छाए हुए है. न तो नाटो की तरफ से कोई नरमी है और न ही रूस के तेवर में कोई कमी. इधर जो देश नाटो और रूस से संबंध होते हुए भी अभी मौन हैं, उनकी भी हालत ठीक नहीं है. भारत अभी चुप है, लेकिन समय आने पर उसे भी तैयार रहना ही होगा. अगर परमाणु युद्ध शुरू हुआ तो अपनी हिफाजत के लिए ही सही किसी एक ध्रुव के पास तो जाना ही होगा. और हिफाजत के लिए उसे तैयार भी रहना होगा. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि दो विश्व युद्ध खेल चुकी दुनिया अगर आज के इस आधुनिक युग में भी युद्ध को निमंत्रण देती है तो फिर मानवता के नाम की सारी राजनीति थोथी प्रतीत होती है. युद्ध को चाहे जैसे भी हो रोका जाना सबसे ज्यादा जरूरी है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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