Home देश क्या एकनाथ शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार संभव होगा ? जब सभी विधयक मंत्री बनना चाहते हैं तब सरकार का मुखिया मंत्रिमंडल विस्तार कर पायेगा ? असंभव लगता है. महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की यही परेशानी है. शिंदे के साथ 50 विधायक हैं. इनमे शिवसेना के 40 और बाकि दलों और निर्दलीय के दस विधायक है. शिंदे के समर्थन में खड़े सभी 40 विधायक मंत्री पद चाहते हैं. यही समझ निर्दलीय विधायकों की भी है. अगर शिंदे ने ऐसा नहीं किया तो परेशानी होगी और एकता भी भांग हो सकती है. उधर बीजेपी के लोग किसी भी तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार चाह रहे हैं. खबर के मुताबिक़ इस पुरे मामले की रेख गृह मंत्री अमित शाह खुद कर रहे हैं, लेकिन वो भी बेवस हैं. जानकारी के मुताबिक शाह मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी भी कर चुके हैं लेकिन घोषणा नहीं कर पा रहे हैं. डर है कि घोषणा होते ही शिंदे समर्थक शिव सैनिक विधायकों में असंतोष फैलेगा और फिर सारा खेल खराब हो सकता है. बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का गठन हुए 29 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके सम्बन्ध में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि कैबिनेट विस्तार दो से तीन दिनों में हो जायेगा. वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक तारीख निर्धारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह कहा कि मंत्रियों को विभागों को जल्द ही आवंटित किया जाएगा. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के लिए एकनाथ शिंदे गुट के सामने “आंतरिक अशांति” जिम्मेदार है. सूत्र ने कहा कि असली बात यह है कि विधायकों को इस हकीकत से रूबरू कराया जाए कि वो सभी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते और सभी विधायक मंत्री नहीं बन सकते. उधर, भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हमें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. शिंदे गुट पर नजर डालें तो वहां 50 विधायक हैं. इनमें 40 विधायक शिवसेना के हैं. हर कोई मंत्री बनना चाहता है. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सीएम सहित 43 मंत्री हो सकते हैं.” बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने कहा, “अगर हम कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार में गठबंधन सरकारों के पिछले उदाहरणों को देखें, तो मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए एक महीने का समय लंबा नहीं है.” वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि असली शिवसेना कौन है या सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले की सुनवाई 1 अगस्त को सूचीबद्ध है. बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि समस्या शिंदे गुट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि 106 विधायकों वाली बीजेपी एक बड़ी पार्टी है. इसे सेकेंडरी भूमिका निभाते हुए नहीं देखा जा सकता. इसके समर्थन के बिना शिंदे गुट महाराष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता. देखना है कि शिंदे सरकार का विस्तार कब तक होता है. उधर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे भी पार्टी की मजबूती को लेकर अपने समर्थकों के बीच खड़े हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगर शिंदे समर्थक विधयकों की मंशा पूरी नहीं की गई तो खेल और भी विचित्र हो सकता है. संभव है कि कुछ लोग उद्धव के पास लौट सकते हैं या फिर किसी पार्टी के साथ जुड़कर एक नया तमाशा खड़ा कर सकते हैं.

क्या एकनाथ शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार संभव होगा ? जब सभी विधयक मंत्री बनना चाहते हैं तब सरकार का मुखिया मंत्रिमंडल विस्तार कर पायेगा ? असंभव लगता है. महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की यही परेशानी है. शिंदे के साथ 50 विधायक हैं. इनमे शिवसेना के 40 और बाकि दलों और निर्दलीय के दस विधायक है. शिंदे के समर्थन में खड़े सभी 40 विधायक मंत्री पद चाहते हैं. यही समझ निर्दलीय विधायकों की भी है. अगर शिंदे ने ऐसा नहीं किया तो परेशानी होगी और एकता भी भांग हो सकती है. उधर बीजेपी के लोग किसी भी तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार चाह रहे हैं. खबर के मुताबिक़ इस पुरे मामले की रेख गृह मंत्री अमित शाह खुद कर रहे हैं, लेकिन वो भी बेवस हैं. जानकारी के मुताबिक शाह मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी भी कर चुके हैं लेकिन घोषणा नहीं कर पा रहे हैं. डर है कि घोषणा होते ही शिंदे समर्थक शिव सैनिक विधायकों में असंतोष फैलेगा और फिर सारा खेल खराब हो सकता है. बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का गठन हुए 29 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके सम्बन्ध में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि कैबिनेट विस्तार दो से तीन दिनों में हो जायेगा. वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक तारीख निर्धारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह कहा कि मंत्रियों को विभागों को जल्द ही आवंटित किया जाएगा. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के लिए एकनाथ शिंदे गुट के सामने “आंतरिक अशांति” जिम्मेदार है. सूत्र ने कहा कि असली बात यह है कि विधायकों को इस हकीकत से रूबरू कराया जाए कि वो सभी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते और सभी विधायक मंत्री नहीं बन सकते. उधर, भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हमें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. शिंदे गुट पर नजर डालें तो वहां 50 विधायक हैं. इनमें 40 विधायक शिवसेना के हैं. हर कोई मंत्री बनना चाहता है. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सीएम सहित 43 मंत्री हो सकते हैं.” बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने कहा, “अगर हम कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार में गठबंधन सरकारों के पिछले उदाहरणों को देखें, तो मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए एक महीने का समय लंबा नहीं है.” वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि असली शिवसेना कौन है या सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले की सुनवाई 1 अगस्त को सूचीबद्ध है. बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि समस्या शिंदे गुट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि 106 विधायकों वाली बीजेपी एक बड़ी पार्टी है. इसे सेकेंडरी भूमिका निभाते हुए नहीं देखा जा सकता. इसके समर्थन के बिना शिंदे गुट महाराष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता. देखना है कि शिंदे सरकार का विस्तार कब तक होता है. उधर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे भी पार्टी की मजबूती को लेकर अपने समर्थकों के बीच खड़े हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगर शिंदे समर्थक विधयकों की मंशा पूरी नहीं की गई तो खेल और भी विचित्र हो सकता है. संभव है कि कुछ लोग उद्धव के पास लौट सकते हैं या फिर किसी पार्टी के साथ जुड़कर एक नया तमाशा खड़ा कर सकते हैं.

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क्या एकनाथ शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार संभव होगा ?       जब सभी विधयक मंत्री बनना चाहते हैं तब सरकार का मुखिया मंत्रिमंडल विस्तार कर पायेगा ? असंभव लगता है. महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की यही परेशानी है. शिंदे के साथ 50 विधायक हैं. इनमे शिवसेना के 40 और बाकि दलों और निर्दलीय के दस विधायक है. शिंदे के समर्थन में खड़े सभी 40 विधायक मंत्री पद चाहते हैं. यही समझ निर्दलीय विधायकों की भी है. अगर शिंदे ने ऐसा नहीं किया तो परेशानी होगी और एकता भी भांग हो सकती है. उधर बीजेपी के लोग किसी भी तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार चाह रहे हैं. खबर के मुताबिक़ इस पुरे मामले की रेख गृह मंत्री अमित शाह खुद कर रहे हैं, लेकिन वो भी बेवस हैं. जानकारी के मुताबिक शाह मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी भी कर चुके हैं लेकिन घोषणा नहीं कर पा रहे हैं. डर है कि घोषणा होते ही शिंदे समर्थक शिव सैनिक विधायकों में असंतोष फैलेगा और फिर सारा खेल खराब हो सकता है.         बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का गठन हुए 29 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके सम्बन्ध में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि कैबिनेट विस्तार दो से तीन दिनों में हो जायेगा. वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक तारीख निर्धारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह कहा कि मंत्रियों को विभागों को जल्द ही आवंटित किया जाएगा.       सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के लिए एकनाथ शिंदे गुट के सामने “आंतरिक अशांति” जिम्मेदार है. सूत्र ने कहा कि असली बात यह है कि विधायकों को इस हकीकत से रूबरू कराया जाए कि वो सभी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते और सभी विधायक मंत्री नहीं बन सकते.     उधर, भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हमें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. शिंदे गुट पर नजर डालें तो वहां 50 विधायक हैं. इनमें 40 विधायक शिवसेना के हैं. हर कोई मंत्री बनना चाहता है. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सीएम सहित 43 मंत्री हो सकते हैं.”       बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने कहा, “अगर हम कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार में गठबंधन सरकारों के पिछले उदाहरणों को देखें, तो मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए एक महीने का समय लंबा नहीं है.” वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि असली शिवसेना कौन है या सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले की सुनवाई 1 अगस्त को सूचीबद्ध है.      बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि समस्या शिंदे गुट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि 106 विधायकों वाली बीजेपी एक बड़ी पार्टी है. इसे सेकेंडरी भूमिका निभाते हुए नहीं देखा जा सकता. इसके समर्थन के बिना शिंदे गुट महाराष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता.  देखना है कि शिंदे सरकार का विस्तार कब तक होता है. उधर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे भी पार्टी की मजबूती को लेकर अपने समर्थकों के बीच खड़े हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगर शिंदे समर्थक विधयकों की मंशा पूरी नहीं की गई तो खेल और भी विचित्र हो सकता है. संभव है कि कुछ लोग उद्धव के पास लौट सकते हैं या फिर किसी पार्टी के साथ जुड़कर एक नया तमाशा खड़ा कर सकते हैं.

क्या एकनाथ शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार संभव होगा ?

 

जब सभी विधयक मंत्री बनना चाहते हैं तब सरकार का मुखिया मंत्रिमंडल विस्तार कर पायेगा ? असंभव लगता है. महाराष्ट्र में शिंदे सरकार की यही परेशानी है. शिंदे के साथ 50 विधायक हैं. इनमे शिवसेना के 40 और बाकि दलों और निर्दलीय के दस विधायक है. शिंदे के समर्थन में खड़े सभी 40 विधायक मंत्री पद चाहते हैं. यही समझ निर्दलीय विधायकों की भी है. अगर शिंदे ने ऐसा नहीं किया तो परेशानी होगी और एकता भी भांग हो सकती है. उधर बीजेपी के लोग किसी भी तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार चाह रहे हैं. खबर के मुताबिक़ इस पुरे मामले की रेख गृह मंत्री अमित शाह खुद कर रहे हैं, लेकिन वो भी बेवस हैं. जानकारी के मुताबिक शाह मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी भी कर चुके हैं लेकिन घोषणा नहीं कर पा रहे हैं. डर है कि घोषणा होते ही शिंदे समर्थक शिव सैनिक विधायकों में असंतोष फैलेगा और फिर सारा खेल खराब हो सकता है.

बता दें कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का गठन हुए 29 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके सम्बन्ध में सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि कैबिनेट विस्तार दो से तीन दिनों में हो जायेगा. वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक तारीख निर्धारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह कहा कि मंत्रियों को विभागों को जल्द ही आवंटित किया जाएगा.

सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के लिए एकनाथ शिंदे गुट के सामने “आंतरिक अशांति” जिम्मेदार है. सूत्र ने कहा कि असली बात यह है कि विधायकों को इस हकीकत से रूबरू कराया जाए कि वो सभी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते और सभी विधायक मंत्री नहीं बन सकते.

उधर, भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हमें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. शिंदे गुट पर नजर डालें तो वहां 50 विधायक हैं. इनमें 40 विधायक शिवसेना के हैं. हर कोई मंत्री बनना चाहता है. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सीएम सहित 43 मंत्री हो सकते हैं.”

बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने कहा, “अगर हम कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार में गठबंधन सरकारों के पिछले उदाहरणों को देखें, तो मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए एक महीने का समय लंबा नहीं है.” वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि असली शिवसेना कौन है या सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले की सुनवाई 1 अगस्त को सूचीबद्ध है.

बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा कि समस्या शिंदे गुट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि 106 विधायकों वाली बीजेपी एक बड़ी पार्टी है. इसे सेकेंडरी भूमिका निभाते हुए नहीं देखा जा सकता. इसके समर्थन के बिना शिंदे गुट महाराष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता.

देखना है कि शिंदे सरकार का विस्तार कब तक होता है. उधर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे भी पार्टी की मजबूती को लेकर अपने समर्थकों के बीच खड़े हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगर शिंदे समर्थक विधयकों की मंशा पूरी नहीं की गई तो खेल और भी विचित्र हो सकता है. संभव है कि कुछ लोग उद्धव के पास लौट सकते हैं या फिर किसी पार्टी के साथ जुड़कर एक नया तमाशा खड़ा कर सकते हैं.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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