Home विदेश कोरोना लॉक डाउन की पाबंदियान खत्म होते ही मस्जिदों में रमज़ान की जबरदस्त चहल-पहल और बढ़ी रौनक.

कोरोना लॉक डाउन की पाबंदियान खत्म होते ही मस्जिदों में रमज़ान की जबरदस्त चहल-पहल और बढ़ी रौनक.

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कोरोना लॉक डाउन की पाबंदियान खत्म होते ही मस्जिदों में रमज़ान की जबरदस्त चहल-पहल और बढ़ी रौनक.

अंज़रुल बारी

कोरोना लॉक डाउन के दो वर्ष बाद अरब देशों में रमज़ान की जबरदस्त चहल-पहल देखी जा रही है. समाचार एजेंसियों के अनुसार कोरोना लॉक डाउन के कारण वर्ष 2020-21 में रमज़ान की चहल पहल और उसकी रूहानियत को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर दिया था. जिसके कारण लोग घरों में बंद हो कर रह गए थे.

कोरोना के कारण घरों और सार्वजनिक स्थानों पर नमाज और इफ्तार को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था. यहां तक कि मस्जिदों में नमाज और तरावीह के बजाए उसे घरों में अपनी अपनी नमाज तक सीमित कर दिया गया था. मस्जिदों में रमज़ान के पवित्र महीने में एतकाफ की भी मंजूरी नहीं थी.

इस साल पवित्र रमजान जो 2 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं, अब अपनी तमाम चहल-पहल और भरपूर रौनक से वापस शुरू हो रहा है. सरकार द्वारा तमाम तरह की पाबंदियों के खत्म होने के एलान के बाद अब एतकाफ, तहज्जुद, तरावीह, मस्जिदों में रमजान में की जाने वाली इबादत से जुड़े लेक्चर्स, इफ्तार पार्टियां अपनी तमाम रौनक और रूहानियत के साथ वापस लौट रही हैं.

पिछले कुछ महीनों में अधिकतर अरब देशों में कोरोना वायरस के मामले और उससे हो रही मौत मैं भारी कमी दर्ज की गई है, जिसके बाद अब तमाम तरह की पाबंदियों को है लिया गया है. विश्व की सबसे पवित्र मस्जिदों के प्रशासन ने दुनिया भर के मुसलमानों से आग्रह करते हुए कहा है कि मस्जिद ए हराम में एतकाफ के इच्छुक लोग पहले रोज़े अपना नाम दर्ज करा दें.

सऊदी समाचार एजेंसियों के अनुसार मक्का प्रशासन ने एक विषेश तरह का ऐप तैयार किया है, जिस पर जा कर आप मक्का और मदीना की मस्जिदों में इंट्री करा कर एतकाफ कर सकते हैं. इंट्री का ये सिलसिला 5 रमजान तक चलेगा.

प्रशासन ने कहा है कि एतकाफ करने वाले लोगों को अनुमतिपत्र 16 से 19 रमज़ान तक जारी कर दिए जाएंगे. प्रशासन ने कहा है कि ये अनुमतिपत्र मस्जिद ए हराम के गेट संखिया 119 से प्राप्त किए जा सकेंगे.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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