Friday, April 19, 2024
होमताज़ातरीनकैग की रिपोर्ट में कर्ज से गुजरात बेहाल तो बिहार में अस्पतालों...

कैग की रिपोर्ट में कर्ज से गुजरात बेहाल तो बिहार में अस्पतालों का बुरा हाल

अखिलेश अखिल

हाल के दिनों में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी कैग की विभिन्न राज्यों की ऑडिट रिपोर्ट को उन राज्यों की विधानसभाओं में पेश किया गया. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बाते कही गई हैं. गुजरात के बारे में कहा गया है कि यह राज्य कर्ज में डूबा हुआ है, और इस पर नियंत्रण नहीं किया गया. और आने वाले समय में भारी समस्या पैदा होगी. कैग ने बिहार के अस्पतालों के बारे में जो तस्वीर पेश की है वह बड़ी भयावह और डराने वाली है. बता दें कि कैग ने गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की रिपोर्ट पेश की है.
गुजरात विधानसभा में 31 मार्च को कैग की रिपोर्ट को पेश किया गया था. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार को लगातार बढ़ रहे कर्ज को लेकर सतर्क होना चाहिए. रिपोर्ट में चेताया गया और इससे बचने के लिए एक सुनियोजित उधार चुकाने की रणनीति पर काम करने की सलाह दी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य को अगले सात सालों में कुल कर्ज का 61 फीसदी भुगतान करना है, जिससे उसके संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है.
कोविड-19 महामारी का उल्लेख किए बिना कैग रिपोर्ट में कहा गया कि 2020-2021 के दौरान गुजरात में 2011-2012 के बाद से पहली बार राजस्व घाटा हुआ. साथ ही यह भी कहा गया कि सरकार ने 10,997 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे को कम आंका था.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राज्य ने 2020-2021 में अपनी लक्षित सड़क लंबाई में एक-तिहाई का संशोधन किया और साल के अंत में 54 फीसदी धनराशि को खर्च नहीं किया गया. कैग रिपोर्ट में कहा गया कि गुजरात की पीएसयू कंपनियों को 30,400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और सरकार ने उन कंपनियों में निवेश किया. गुजरात सड़क परिवहन निगम और गुजरात पेट्रोलियम निमग की संपत्ति समाप्त हो गई. राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराई गई सब्सिडी पांच सालों में 2020-2021 के अंत में दोगुनी होकर 22,141 करोड़ रुपये हो गई.
बिहार की कैग रिपोर्ट में अस्पतालों की बदहाली का ज़िक्र है. सैंपल में लिए गए पांच जिला अस्पतालों में से तीन में 52 फीसदी से 92 फीसदी बिस्तरों की कमी थी और इनमें से किसी भी अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर नहीं था. जबकि सिर्फ एक अस्पताल में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध थी. चार अस्पताल इंसेफेलाइटिस की आशंका वाले क्षेत्रों में हैं और इनमें जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच की कोई सुविधा नहीं है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत पटना में सीवेज ट्रीटमेंट के लिए पर्याप्त योजना नहीं है. इसके साथ ही 31 मार्च 2020 तक राजस्व के प्रमुख स्रोत के तौर पर 4,584.73 करोड़ रुपये बकाया थे, जिसमें से 1,357.78 करोड़ रुपये की राशि पांच साल से अधिक समय से बकाया है.
महाराष्ट्र की कैग रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही विधानसभा में पेश की गई है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) के महाराष्ट्र सरकार द्वारा क्रियान्वयन में देरी रही और इसकी मॉनिटरिंग अप्रभावी रही. इसे लेकर राज्य को मिलने वाला कुल अनुदान 376.97 करोड़ रुपये है, जिसमें से सरकार सिर्फ 283.07 करोड़ रुपये ही खर्च कर सकी जबकि 93.90 करोड़ रुपये की राशि खर्च ही नहीं हुई.
इसके अलावे रिपोर्ट में कहा गया है कि आवास आरक्षण योजना के तहत ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) द्वारा बाजार निर्माण के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र को या तो इस्तेमाल ही नहीं किया गया या यह खाली पड़ा रहा. एमसीजीएम फल, सब्जी और मीट की बिक्री के लिए सार्वजनिक बाजारों का निर्माण, उसका रखरखाव और उसे रेगुलेट करती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मौजूदा जर्जर बाजारों का पुनर्विकास और दुकान मालिकों के पुनर्वास की हालत खस्ता रही. रिपोर्ट कहती है कि प्रतिबंधित क्षेत्रों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण पर 3.25 करोड़ रुपये का फिजूल खर्च हुआ क्योंकि उसे बाद में नष्ट करना पड़ा.
केरल की कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल का राजकोषीय घाटा 2016-2017 में 26,448.35 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-2021 में 40,969.69 करोड़ रुपये हो गया. 2020-2021 के दौरान राजकोषीय घाटे में 17,132.22 करोड़ रुपये की वृद्धि मुख्य रूप से राजस्व घाटे (11,334.25 करोड़ रुपये) में बढ़ोतरी, गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियों (24.83 करोड़ रुपये) में कमी, पूंजीगत व्यय (4,434.85 करोड़ रुपये) में बढ़ोतरी और ऋणों के वितरण (1,338.29 करोड़ रुपये) में वृद्धि की वजह से हुई. इसके साथ ही कुल राजस्व व्यय में से 60.94 फीसदी खर्च वेतन एवं मजदूरी (28767.46 करोड़ रुपये), ब्याज भुगतान (20975.36 करोड़ रुपये, पेंशन भुगतान (18942.85 करोड़ रुपये) और सब्सिडी (6547.48 करोड़ रुपये) में की गई.
ओडिशा की कैग रिपोर्ट से पता चलता है कि 1980 के दशक से ही राज्य में सिंचाई परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं और इनकी लगात में 182 फीसदी से 4,596 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. ऑडिट की गई सात परियोजनाओं में से अब तक तीन परियोजनाएं ही पूरी हो पाई हैं. इनकी कुल शुरुआती लागत अनुमानित रूप से 955.73 करोड़ रुपये है। हालांकि, संशोधित अनुमान 19,103.63 करोड़ रुपये है, जिसमें से अब तक 12,742.11 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं. अब तक सिंचाई के लिए प्रस्तावित 5,02,842 हेक्टेयर क्षेत्र में से 1,22,418 हेक्टेयर क्षेत्र ही कवर हो पाया है.
2020-21 के दौरान ओडिशा सरकार की राजस्व प्राप्तियों (1,04,387 करोड़ रुपये) का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) (5,09,574 करोड़ रुपये) का 20.49% का योगदान था. 2020-21 के लिए राज्य का राजस्व व्यय (95,311 करोड़ रुपये) जीएसडीपी का 18.70% था, जो 2019-20 (99,137 करोड़ रुपये) की तुलना में 3,826 करोड़ रुपये (3.86 प्रतिशत) कम रहा. 2020-21 में राज्य की कुल बचत 43,554.13 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 32,556.37 करोड़ रुपये (74.75%) साल के आखिरी दिन यानी 31 मार्च, 2021 को सरेंडर किए गए थे. 2020-21 के दौरान 10,997.76 करोड़ रुपये की शेष बचत (25.25) %) को सरेंडर नहीं किया गया.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments