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केंद्र का पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर कड़ा एक्शन, 5 साल के लिए बैन, बताया गैरकानूनी संस्था

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केंद्र का पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर कड़ा एक्शन, 5 साल के लिए बैन, बताया गैरकानूनी संस्था

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई और उसके सभी सहयोगी संगठनों को गैरकानूनी घोषित करते हुए 5 साल के लिए प्रतिबंधित

कर दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से पीएफआई पर बैन को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. यूएपीए एक्ट के तहत पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर बैन प्रतिबंध लगाया गया है. पीएफआई के अलावा उससे जुड़े सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल विमेन फ्रंट, कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन केरल पर को भी बैन कर दिया गया है.

हाल ही में केंद्रीय एजेंसियों ने पीएफआई के काम काज को देश विरोधी करार देते देशभर में करीब 15 राज्यों में जबरदस्त छापेमारी मुहिम चला कर उसके कार्यकर्तों और सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है. मंगलवार को दूसरे राउंड की छापेमारी में भी देशभर से 130 के करीब पीएफआई कार्यकर्ताओं और उसके सहयोगी संगठनों से जुड़े लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

दिल्ली के जामिया नगर स्थित शाहीन बाग में इस एक्शन के बाद केंद्रीय पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया है. पुलिस टीम ने मोबाइल फोन और अन्य डिवाइस समेत कई दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए हैं. साथ ही जामिया नगर में धारा 144 भी लागू कर दिया गया है. यहां दो महीने तक चार या उससे ज्यादा लोगों को इकट्‌ठा होने की अनुमति नहीं है. जामिया यूनिवर्सिटी ने भी सर्कुलर जारी करके छात्रों से गैदरिंग नहीं करने का निर्देश दिया है.

एजेंसियों का दावा है कि पकड़े गए लोग भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने के मिशन पर काम कर रहे थे. एजेंसियों ने ये भी दावा किया है कि इस काम के लिए इन्हें विदेशों से जमकर फंडिंग हो रही थी. एजेंसीज़ का मानना है कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन सिमी

का ही बदला हुआ रूप है. बता दें कि 17 फ़रवरी, 2007 को पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया का गठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों के विलय से हुआ था. पीएफआई का दावा है कि वह 23 राज्यों में सक्रिय है. सिमी पर प्रतिबंध के बाद पीएफआई का तेज़ी से विस्तार कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों हुआ.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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