Monday, December 9, 2024
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केंद्र और नीति आयोग से क्यों नाराज है संघ की इकाई बीएमएस ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई भारतीय मजदूर संघ यानी बीएमएस ने नीति आयोग और केंद्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए हैं. सरकार की माजूदा श्रम नीतियों की न सिर्फ बीएमएस ने आलोचना की है. बल्कि कहा है कि अब सरकार की इस नीति के खिलाफ सड़को पर उतरना होगा. भारतीय मजदूर संघ का आरोप है, “योजना आयोग पहले सुझाव देता था. लेकिन उसकी जगह नीति आयोग बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से भरा हुआ है और वो ऐसे सुझाव दे रहे हैं जो लोगों या समाज के अनुकूल नहीं हैं. दुर्भाग्य से सरकार उनके सुझावों पर अमल कर रही है.”

        बता दें कि 13 से 17 जुलाई के बीच नागपुर में एक बीएमएस कार्यशाला आयोजित की गई थी. जिसमे संगठन की 32 इकाइयों के 120 से अधिक महत्वपूर्ण पदाधिकारी शामिल हुए थे. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बीएमएस ‘महामंत्री’ बिनय कुमार सिन्हा ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड के कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच वेतन संशोधन पर बातचीत चल रही थी, लेकिन बाद में कर्मचारियों को सिर्फ 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की पेशकश कर के नकारात्मक रुख अपनाया जा रहा था.

    उन्होंने कहा, “कर्मचारियों ने न्यूनतम गारंटी लाभ में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की मांग की है. हम एक सम्मानजनक समाधान चाहते हैं. इस ज्वलंत मुद्दे पर कार्यशाला में चर्चा की गई. हम यह भी चाहते हैं कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द श्रम संहिता लागू करे.”

     सिन्हा ने कहा कि वेतन और सुरक्षा कोड ऐतिहासिक हैं. श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए बहुत सारे लाभ हैं, लेकिन औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता में कुछ प्रावधान श्रमिकों के हित में नहीं हैं.

       उन्होंने कहा, “औद्योगिक संबंध कोड ट्रेड यूनियनों को खत्म कर देगा. हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार दो कोड में आवश्यक बदलाव करे. हम निजीकरण, निगमीकरण और मुद्रीकरण का भी विरोध करते हैं. हम चाहते हैं कि सरकार सहकारी समितियों जैसे विकल्पों को देखे और हितधारकों को विश्वास में ले.”

       केंद्र सरकार को सभी को वेतन, सामाजिक और नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, यह कहते हुए कि बीएमएस ने 17 नवंबर को दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है, अगर उसकी मांगें पूरी नहीं होती हैं.

     उन्होंने दावा किया कि सरकार ने कैंसर के नाम पर ‘बीड़ी’ पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है, जबकि यह “हर्बल और रासायनिक तंबाकू” नहीं है. उन्होंने कहा, “सिगरेट, तंबाकू और शराब के अन्य रूप अधिक हानिकारक हैं, लेकिन सरकार इन क्षेत्रों को नहीं छूएगी क्योंकि वो बड़े लोगों द्वारा चलाए जाते हैं. 4.5 करोड़ से अधिक लोग बीड़ी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.”

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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