अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार सुबह करता परवन गुरुद्वारे पर आतंकी हमला हुआ. इस दौरान पहले धमाके की आवाजें सुनीं गईं और उसके बाद बंदूकधारियों द्वारा ताबड़तोड़ फायरिंग भी की गई है. इस घटना में कई लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है. समाचार एजेंसियों से बात करते हुए गुरुद्वारा अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्हें तालिबान अधिकारियों द्वारा अंदर जाने से रोक दिया गया है, इसलिए अंदर की स्तिथि की कोई जानकारी नहीं है, उन्होंने बताया कि जब ये हमला हुआ उस समय गुरुद्वारे में करीब 30 लोग मौजूद थे.
गुरनाम सिंह ने बताया है कि बंदूकधारियों ने अचानक गुरुद्वारे पर धावा बोला और फिर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. काबुल गुरुद्वारे पर हमला करने वाले बंदूकधारी संभवत: तालिबान के प्रतिद्वंद्वी दाएश समूह के हैं. तालिबान लड़ाके मौके पर पहुंच गए हैं और उनके बीच लड़ाई जारी है. गुरुद्वारा क्षतिग्रस्त हो गया है और चार सिख लापता हैं. पंजाब के राज्यसभा सांसद विक्रम साहनी ने इसकी जानकारी दी.
इधर, पूरी घटना पर भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पूरी स्थिति पर नजर रखी जा रही है. प्रवक्ता ने कहा, ” हम काबुल से उक्त शहर में एक पवित्र गुरुद्वारे पर हमले की खबरों से बहुत चिंतित हैं. हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और आगे की घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं.”
वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी विस्फोट की घटना की निंदा की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ” गुरुद्वारा करते परवन पर हुए कायरतापूर्ण हमले की सभी को कड़े शब्दों में निंदा करनी चाहिए. हमले की खबर मिलने के बाद से हम घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं. हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण चिंता समुदाय का कल्याण है.”
पिछले अक्तूबर में, तालिबान के सत्ता में आने के कुछ महीने बाद, अज्ञात बंदूकधारियों ने गुरुद्वारा करते परवन पर धावा बोल दिया था और संपत्ति में तोड़फोड़ की थी. तब से, अफगान सिख भारत को बचाए जाने की अपील कर रहे हैं. बता दें कि गुरुद्वारा करता परवन काबुल में सिख समुदाय का केंद्रीय गुरुद्वारा है. तालिबान के अधिग्रहण के बाद से देश में कम से कम 150 अफगान सिख अभी भी फंसे हुए हैं. वो पिछले कुछ महीनों से भारत से वीजा मांग रहे हैं.