विपक्ष की भूमिका निभा रहे राहुल गाँधी ने साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे. राहुल के इस बयान के बाद यह भी साफ़ हो गया है कि अब कांग्रेस को या तो फिर से सोनिया गाँधी पर ही विश्वास करना पड़ेगा या फिर किसी गैर गाँधी परिवार से आने वाले नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है. राहुल गाँधी अब पार्टी को मजबूत करने के फेर में हैं और उन्होंने साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस को जनता के बीच जाने की जरूरत है और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का मकसद यही है.
सोमवार को इसकी तैयारी को लेकर वो दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में सिविल सोसाइटी के लोगों और प्रमुख हस्तियों से बात की. कांग्रेस पार्टी 7 सितंबर से पूरे देश में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने जा रही है. कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक चलने वाली यह यात्रा 150 दिनों तक चलेगी. इस दौरान 3,500 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा. यात्रा में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता और अलग-अलग हिस्सों से नेता जुड़ेंगे. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी देश के 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगी.
बता दें कि उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो’ यात्रा निकालने की घोषणा की थी. शिविर के अंतिम दिन अपने भाषण में राहुल ने कहा था- हम फिर जनता के बीच जाएंगे, उससे अपने रिश्ते मजबूत करेंगे और ये काम शॉर्टकट से नहीं होगा. ये पसीने से होगा यानी कड़ी मेहनत से.
अप्रैल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर एक प्रजेंटेशन के दौरान प्रशांत किशोर ने कांग्रेस हाईकमान को कई सुझाव दिए थे. इनमें एक सुझाव देश के अलग अलग हिस्सों में करीब 200 प्रभावी लोगों, एक्टिविस्ट्स और सिविल सोसायटी के लोगों से संपर्क स्थापित करना था.
‘भारत जोड़ो यात्रा’ से बड़ी संख्या में लोगों के जुड़ने की सम्भावना है और उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा में कई विपक्षी दल के लोग भी शामिल हो सकते हैं. लेकिन सबकी निगाहें गुजरात और हिमाचल के चुनाव पर भी टिकी है. जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. कांग्रेस की परेशानी यह है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी इस बार बड़े स्तर पर चुनावी तैयारी कर रही है. ऐसे में गुजरात में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला कांग्रेस के लिए घातक भी साबित हो सकता है.