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और जनता की उम्मीदों पर फिट नहीं बैठे पीएम इमरान खान

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और जनता की उम्मीदों पर फिट नहीं बैठे पीएम इमरान खान

पाकिस्तान की जनता ने भरोसे के साथ इमरान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ’ (PTI) को सत्ता सौपीं थी, बदले में इमरान खान ने भी जनता से बहुत कुछ वादा किया था. बड़े-बड़े और लंबे चौड़े दावे किये गए थे. इमरान के लोक लुभावन दावों से मानों जनता नाच रही थी. जनता के मन में था की पहली दफा कोई ऐसी सरकार आयी है जो जनता की उम्मीदों पर खरी उतरेगी. लोगों का जीवन सुधरेगा और पाकिस्तान में अमन चैन और खुशहाली होगी. देश की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी. भारत-पाक रिश्तों में भी मधुरता आएगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. हालत ये है कि पाकिस्तान आज महंगाई और महंगाई की मार से बेहाल है. जनता महंगाई की वजह से सड़कों पर उतर चुकी है. लोग खाने-खाने को तरस रहे हैं. उधर पीएम इमरान ने अफगानिस्तान के मसले पर पश्चिमी देशों के खिलाफ बिगुल बजाया जिससे पश्चिमी देश पाकिस्तान के खिलाफ़ खड़े हो गए. पाकिस्तान पर कई तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए गए. इसके बाद बिना बुलाये मास्को पहुंचकर पुतिन से समर्थन में खड़े होकर पश्चिमी देशो को और भी नाराज कर दिया. अंजाम ये हुआ कि इमरान सरकार के खिलाफ पाकिस्तान की सेना ही खड़ी हो गई. पाकिस्तानी सेना का वहाँ की सरकार के साथ क्या और कैसे सम्बन्ध रहे हैं यह कौन नहीं जनता और किसी से छुपा भी नहीं है. लेकिन इमरान की सबसे बड़ी परेशानी अपनी ही पार्टी के नेताओं से हो गई है. दर्जन भर से ज्यादा उनके सांसद उनके खिलाफ होकर विपक्ष के साथ खड़े हो गए हैं. उधर पाकिस्तान की सभी विपक्षी पार्टियों ने इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही है. कहानी यही है कि इमरान सरकार का बचना अब कठिन है.
यह बात और है कि इमरान किसी भी सूरत में सरकार बचाने की तैयारी तो कर रहे हैं लेकिन खेल बड़ा और बिगड़ चुका है. प्रधानमंत्री इमरान खान एक ओर जहां अपनी कुर्सी बचाने और अविश्वास प्रस्ताव में बहुमत साबित करने की जद्दोहजद में लगे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल अपनी अलग-अलग रणनीति बना रहे हैं. कुछ दलों ने तो नए पीएम पद के उम्मीदवार को लेकर चर्चा भी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में सबसे पहले पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने अपने पीएम उम्मीदवार की घोषणा कर दी है.
पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष और नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज़ ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने पर पीएमएल-एन के नेता शहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी की ओर से उम्मीदवार होंगे. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद हाईकोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत के दौरान मरियम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि विपक्ष प्रधानमंत्री पद के लिए अगले उम्मीदवार के चयन पर बैठक कर फैसला लेगा, लेकिन पीएमएल-एन शहबाज़ शरीफ को नामित करेगा.
इमरान खान के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनजर, विपक्षी नेता ने कहा कि नेशनल असेंबली के सत्र में देरी करना ‘संविधान की अवहेलना करने और अनुच्छेद 6 को लागू करने’ जैसा है. उन्होंने कहा कि वह संवैधानिक विकृति की इस घटना पर अदालतों की ओर देख रही हैं. पीएमएल-एन नेता ने कहा, “इमरान खान! आपका खेल अब खत्म हो गया है.” पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) आधिकारिक तौर पर विभाजित हो गई है. मरियम ने कहा, “पीएम को पता है कि अब कोई भी उनके बचाव में नहीं आएगा, क्योंकि वह खेल हार चुके हैं.” उन्होंने कहा, “इमरान खान मानते हैं कि उनके खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है, लेकिन वह खुद के खिलाफ साज़िश करते हैं.”
पिछले महीने से पाकिस्तान में जो कुछ भी सियासी खेल होता दिख रहा है उससे साफ़ लगता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. उनके खिलाफ विपक्ष ने संसद में जिस अंदाज़ में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. उससे का काट कर पाना इमरान और उनकी पार्टी के मुश्किल है, लेकिन इससे पहले पाकिस्तान के 17 निर्दलीय सांसदों, जिनका संबंध जहांगीर खान तारीन की जेकेटी से है, ने पंजाब के मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की है. इन 17 सांसदों की मांग है कि ये सत्ताधारी पीटीआई के साथ वापस आने को तैयार हैं, इसके लिए उन्होंने इमरान खान के आगे अपनी डिमांड रखी है.
सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से पंजाब के शिक्षा मंत्री डॉ मुराद रास ने जेकेटी ग्रुप के साथ चर्चा की है. समूह के सदस्यों से कहा गया था कि वो अपनी चिंताएं जाहिर कर सकते हैं या फिर वो प्रधानमंत्री इमरान खान और पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार से भी सीधे बैठक कर सकते हैं. इस समूह के सदस्यों ने फिर अपनी मांग में कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री बुजदार को हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो पार्टी छोड़कर नहीं जाना चाहते लेकिन बुजदर को पद से हटाया जाना चाहिए.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए नेशनल असेम्बली की बैठक शुक्रवार को बुलाई जाएगी. वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से इमरान की यह सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा होगी. नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 25 मार्च को सदन का सत्र बुलाने की रविवार को घोषणा की थी.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था. इसमें आरोप लगाया गया है कि इमरान की अगवाई वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है. विपक्ष का कहना है कि 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री शेख राशिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विशेष परिस्थितियों के कारण इसमें देरी हो सकती है.
इस मामले में 22 मार्च से संसद भवन में शुरू हो रहे इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के बहुचर्चित 48वें शिखर सम्मेलन के कारण हुई है. शुरू में, विपक्ष ने धमकी दी थी कि अगर सत्र समय पर नहीं बुलाया गया तो वह धरना प्रदर्शन करेगा. हालांकि बाद में संयुक्त विपक्ष ने यह कहते हुए अपने रुख में नरमी दिखाई थी कि पाकिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल के कारण (ओआईसी के) कार्यक्रम को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. संसद का निचला सदन प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को विचार करेगा. अगर इस प्रस्ताव को सदन औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेता है, तो तीन से सात दिनों के बीच मतदान कराया जाना चाहिए.
सरकार और विपक्ष दोनों स्थिति को अपने-अपने अनुकूल बनाने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं. 69 वर्षीय इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल पाला बदलने का फैसला करते हैं तो उन्हें पीएम पद से हटना पड़ सकता है. क्रिकेट से राजनीति में आए खान को हटाने के लिए विपक्ष को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत है. इमरान की पार्टी के सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए उन्हें कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है. उनकी पार्टी बहुमत के लिए कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन ले रही है.
प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले सत्तारूढ़ पार्टी के करीब 24 बागी सांसद खुलकर विरोध में उतर आए हैं, जबकि सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये हैं.
इस बीच, इमरान खान ने अपनी पार्टी के बागी सांसदों से कहा है कि यदि पार्टी में वापस आ जाते हैं तो वह उन्हें माफ करने को तैयार हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जो बागी सांसद उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं उन्हें ‘सामाजिक बहिष्कार’ का सामना करने को तैयार रहना चाहिए.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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