महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के साथ मानों अपनों ने ही खेल कर दिया है. महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव परिणाम आने के बाद उद्धव ठाकरे सरकार के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है. जानकारी के अनुसार महाविकास अघाड़ी के करीब दो दर्जन विधायक नॉट रिचेबल हैं. तस्वीर इस समय साफ हो गई जब ये पता चला कि ये नॉट रिचेबल महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के ये विधायक शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ सूरत में हैं, और शिंदे इन बागी विधायकों को लेकर पत्रकारों से बात करने वाले हैं.
मंगलवार को सुबह पता चला कि विकास आघाड़ी के दर्जन भर विधायक नॉट रिचेबल हैं. शुरू में ये संख्या कम थी लेकिन बाद में ये खबर आई कि ये संख्या कहीं ज्यादा है. इसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में हड़कंप मच गया. जिसके बाद उद्धव ठाकरे के साथ ही NCP प्रमुख शरद पवार ने आपात बैठक बुलाई है. शरद पवार दिल्ली में हैं, उन्होंने अपने नेताओं को बातचीत के लिए दिल्ली बुला लिया है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत अपना दिल्ली दौरा छोड़कर मुंबई लौट आए हैं. कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को सुरक्षित रखने के लिए विधायक दल की बैठक बुला ली है. उद्वव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे से भी सम्पर्क नहीं हो पा रहा है. पता चला है कि शिंदे की ठाकरे परिवार से अनबन चल रही है. वो पार्टी प्रमुख और सीएम उद्धव ठाकरे का भी फोन नहीं उठा रहे हैं. इस बीच शिंदे के घर की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है.
उधर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस को आज नासिक में योग दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लेना था, लेकिन वो इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे. खबर है कि फडणवीस दिल्ली पहुंच गए हैं और पार्टी के आला नेताओं से मुलाकात कर ताजा घटनाक्रम बात करेंगे. बदलते सियासी हालात के मद्देनजर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में आपात बैठक हुई है.
बता दें कि इसकी शुरुआत सोमवार को उस समय हो गई थी, जब एमएलसी चुनावों में 12 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ था. और बीजेपी के पांच एमएलसी विकास आघाड़ी में सेंध लगा कर अपनी जीत सुनिश्चित कर पाने में कामयाब हो गए.
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए 145 विधायक चाहिए. कुछ सीटें रिक्त हैं तो कुछ विधायक जेल में हैं, इसलिए प्रभावी संख्या 285 है. ऐसे में बहुमत के लिए 144 सदस्यों का समर्थन चाहिए. उद्धव ठाकरे सरकार के पास 153 विधायकों का समर्थन है. यदि शिवसेना में फूट पड़ती है तो कांग्रेस के भी कुछ विधायक टूट कर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. बीजेपी पहले से सबसे बड़ी पार्टी है. बीजेपी के 106 विधायक हैं तो राजग के मिलाकर 113 विधायक हैं. इसलिए वह दावा पेश कर इनका समर्थन हासिल कर सकती है.