Home ताज़ातरीन इराक में शिया धर्मगुरू ने राजनीति छोड़ी, राष्ट्रपति भवन में घुसे समर्थक, 8 की मौत, देशभर में कर्फ्यू

इराक में शिया धर्मगुरू ने राजनीति छोड़ी, राष्ट्रपति भवन में घुसे समर्थक, 8 की मौत, देशभर में कर्फ्यू

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इराक में शिया धर्मगुरू ने राजनीति छोड़ी, राष्ट्रपति भवन में घुसे समर्थक, 8 की मौत, देशभर में कर्फ्यू

इराक की राजनीति पर अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को राजनीति छोड़ने का एलान किया है. इस एलान के बाद उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए. नाराज समर्थकों ने राष्ट्रपति महल पर धावा बोल दिया. इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए की गई फायरिंग में 8 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. इराकी सेना ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया. जनता सड़कों पर है. सेना ने पहले राजधानी बगदाद में कर्फ्यू की घोषणा की थी लेकिन जब प्रदर्शनकारियों ने उसको नजरअंदाज कर दिया तो माहौल को देखते हुए सेना ने इराकी समय के अनुसार मंगलवार सुबह 7 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है.

राजनीति छोड़ने की घोषणा के बाद मुक्तदा अल-सदर के समर्थक नारेबाजी करते हुए इराक के राष्ट्रपति भवन में घुस गये. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, ग्रीन जोन में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में मुक्तदा के 8 समर्थकों की गोली लगने से मौत हो गई जबकि 22 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गये. न्यूज़ एजेंसी एएफपी के अनुसार, सुरक्षाबलों ने ग्रीन जोन के प्रवेश द्वार पर मुक्तदा के समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे.

इराक में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमआई) ने बिगड़ती परिस्थिति पर टिप्पणी करते हुए इसको बेहद खतरनाक करार दिया और प्रदर्शनकारियों से संवेदनशील सुरक्षा क्षेत्र को तुरंत खाली करने का आग्रह किया. मिशन की ओर से ट्वीट कर प्रदर्शनकारियों से कहा गया है कि सभी प्रदर्शनकारियों को ऐसी किसी भी स्थिति से बचना चाहिए जो देश के अस्तित्व को ही संकट में डाल दे. गौरतलब है कि सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक गतिरोध के बीच इराक में पिछले साल अक्टूबर से अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है.

बता दें कि शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर इराक के बहुत ही शक्तिशाली नेता हैं. जिन्होंने कभी अमेरिकी और इराकी सरकारी सुरक्षा बलों के खिलाफ सैन्य आंदोलन छेड़ा था. उन्होंने सोमवार को घोषणा कि वह सदा के लिए राजनीति छोड़ रहे हैं. इराक की राजनीति में पिछले कई सालों से एक बहुत ही शक्तिशाली व्यक्ति रहे मुक्तदा ने कहा कि मैंने राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है. इसलिए मैं अब अपनी निश्चित सेवानिवृत्ति की घोषणा करता हूं. हालांकि उनके इस्तीफे की वजहों का पता नहीं चल सका है.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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