Sunday, October 6, 2024
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आखिर सीजेआई ने क्यों कहा कि लोकतंत्र में कोई भी संस्था परफेक्ट नहीं होती ?

कॉलेजियम सिस्टम पर उठ रहे सवालों के बीच सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि लोकतंत्र में कोई भी संस्था परफेक्ट नहीं होती. हमें मौजूदा व्यवस्था के भीतर ही काम करना पड़ता है. न्यायाधीश वफादार सैनिक होते हैं जो संविधान लागू करते हैं. शुक्रवार को संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बाले रहे थे. खास बात ये है कि जस्टिस चंद्रचूड़ जब कॉलेजियम को लेकर अपनी बात रख रहे थे, तब कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी वहां मौजूद थे. बता दें कि कुछ दिन पहले ही रिजीजू ने मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाते हुए इसे अपारदर्शी बताया था.

सीजेआई ने कहा-केवल अच्छे लोगों को न्यायपालिका में लाना कॉलेजियम में सुधार का काम नहीं है. आप जजों को कितना भी अधिक भुगतान करें, यह एक दिन में एक सफल वकील की कमाई का एक अंश होगा. सीजेआई ने कहा कि लोग सार्वजनिक सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता की भावना के लिए जज बनते हैं. यह अंतरात्मा की पुकार होती है.

इस दौरान उन्होंने वकीलों के ड्रेस कोड पर भी अपनी राय रखी. सीजेआई ने कहा कि वकील अभी कॉलोनियल पीरियड की ड्रेस पहन रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत में गर्मी ज्यादा पड़ती है, ऐसे में वकीलों के लिए एक ड्रेस कोड पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा- मैं ड्रेस को हमारे जीवन, मौसम और समय के अनुकूल बनाने पर विचार कर रहा हूं. ड्रेस पर सख्ती से महिला वकीलों की नैतिक पहरेदारी नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते से एक ऐसा सिस्टम लागू किया जाएगा, जहां हर एक बेंच 10 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अभी लगभग 3 हजार मामले पेंडिंग है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि अभी शीर्ष कोर्ट में 13 बेंच है. कोशिश है कि सर्दी की छुट्टी से पहले रोजाना 130 मामलों की सुनवाई की जाए. उन्होंने कहा कि कोर्ट ये निश्चित करना चाहता है कि जमानत के मामले सूचीबद्ध हों और जल्द से जल्द निपटाए जाएं.

कानून मंत्री ने कहा- हम न्यायपालिका को अधिक मजबूत बनाने के लिए सब कुछ करेंगे. कार्यपालिका और न्यायपालिका एक ही माता-पिता (संविधान) की संतान हैं. आपसी टकराव का कोई फायदा नहीं.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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