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गुलाम नबी आजाद ने ठुकरा दिया पार्टी में नंबर 2 का प्रस्ताव

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गुलाम नबी आजाद ने ठुकरा दिया पार्टी में नंबर 2 का प्रस्ताव

अंज़रुल बारी

 

उदयपुर चिंतन शिविर के बाद भी कांग्रेस के भीतर नेताओं की नाराजगी जारी है. पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजद को राज्यसभा नहीं भेजा गया. माना जा रहा है कि आजाद का टिकट राहुल गाँधी ने काटकर इमरान प्रतपगढ़ी को राज्य सभा में भेजने का फैसला किया है. हालांकि सोनिया गाँधी आजाद को पार्टी से जोड़े रखना चाहती हैं लेकिन आजाद की दिलचस्पी अब कम होती जा रही है. खबर के मुताबिक़ सोनिया गाँधी ने आजाद को पार्टी में नंबर दो की हैसियत से काम करने का प्रस्ताव दिया है. सोनिया ने संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कही है लेकिन आजाद ने उसे ठुकरा दिया है. आजाद अब आगे क्या करेंगे इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है.

कांग्रेस ने हाल ही में राज्यसभा चुनाव को लेकर जो उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, उसमें गुलाम नबी आजाद का नाम नहीं था. इंदिरा गांधी के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इससे नाराज चल रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की और कांग्रेस में दूसरे नंबर पर काम करने से इनकार कर दिया है.

कहा जा रहा है कि राज्यसभा के लिए उम्मीदवार घोषित करने से पहले सोनिया गांधी ने आजाद से मुलाकात की और उनसे बात की थी. उनके लिए कांग्रेस की योजना के बारे में बताया गया. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी से बातचीत में उन्होंने राज्यसभा चुनाव के बारे में बात नहीं की लेकिन आजाद से पूछा कि क्या वह संगठन में नंबर दो के पद पर काम करने में सहज महसूस करेंगे. इस सवाल के जवाब में आजाद ने कहा, ”आज पार्टी चलाने वाले युवाओं और हमारे बीच एक पीढ़ी का अंतर आ गया है. हमारी सोच और उनकी सोच में फर्क है. इसलिए युवा पार्टी के दिग्गजों के साथ काम करने को तैयार नहीं हैं.” आपको बता दें कि आजाद पिछले कुछ दिनों से बीमार हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था.

आजाद के राज्यसभा जाने से कांग्रेस नेतृत्व को समीकरण बिगड़ने की आशंका होगी. वर्तमान में, मल्लिकार्जुन खड़गे विपक्ष के नेता हैं, यह पद पहले आजाद के पास था. आजाद के रिटायर होने के बाद खड़गे को विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था. आजाद वर्तमान में पार्टी की कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और हाल ही में सोनिया गांधी द्वारा गठित राजनीतिक मामलों के समूह के सदस्य हैं.

अब सभी की निगाहें आजाद के अगले कदम पर टिकी हैं. कई दशकों तक कांग्रेस के लिए काम कर चुके आजाद को बिहार के एक क्षेत्रीय दल ने राज्यसभा भेजने की पेशकश की थी. उन्होंने यह कहते हुए इसे ठुकरा दिया कि ‘उनका आखिरी समय कांग्रेस के झंडे तले टेल गुजरेगा.

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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.

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