अखिलेश अखिल
देश की निगाह बिहार की संभावित राजनीति पर जा टिकी है. एक तरफ बीजेपी और जदयू के बीच कई मसलो को लेकर तनाव हैं तो दूसरी तरफ जदयू के भीतर ही आरसीपी को लेकर कई तरह की कहानियां सामने आ रही है. आरसीपी जदयू कोटे से मोदी सरकार में मंत्री हैं और जदयू अगर उन्हें राज्य सभा में नहीं भेजती है तो आरसीपी को मंत्री पद से हटना पड़ सकता है. उधर जदयू ने अभी तक आरसीपी को लेकर कोई फैसला नहीं किया है कि उन्हें राज्य सभा भेजा जाए या नहीं. खबर के मुताबिक आरसीपी जदयू पर दबाब बनाने के लिए कई विधयकों को अपने साथ होने का दावा भी कर रहे हैं. इस दावे का मतलब ये है कि जरूरत पड़ेगी तो पार्टी में टूट भी हो सकती है. नीतीश कुमार को इस खेल की भनक हो गई है और इसी वजह से उन्होंने पार्टी के सभी विधायकों को पटना में रहने की बात कही है.
उधर राजद प्रमुख लालू प्रसाद के घर पर सीबीआई छापे के बाद भी नीतीश कुमार बीजेपी से नाराज बताये जा रहे हैं. हालांकि उन्होंने खुलकर इसका कोई विरोध नहीं किया है लेकिन उन्होंने इतना तो कहा ही है कि इस छापे के बारे में बीजेपी ही ज्यादा बता सकती है. बता दें कि पिछले कुछ समय से जदयू और राजद के बीच बढ़ती नजदीकियां बीजेपी को रास नहीं आ रही है और मान जा रहा है कि नीतीश कुमार को सन्देश देने के लिए ही लालू प्रसाद के घर पर छापे डलवाये गए हैं. यह संभव भी हो सकता है. उधर नीतीश कुमार राजद के साथ मिलकर जातीय जनगणना की तैयारी कर रहे हैं जो बीजेपी को पसंद नहीं है. ऐसे में कई ऐसे कारण हो गए हैं कि बिहार की राजनीति में खलबली मची हुई है.
सीएम नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू के विधायकों को कहा है कि वो अगले 72 घंटे तक पटना में ही रहें. अब सीएम नीतीश के फरमान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. इतना ही नहीं एनडीए में अहम सहयोगी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी को भी इसका एहसास होने लगा है.
खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी के नेताओं और विधायकों के साथ लगातार मुलाकात कर रहे हैं. नीतीश की सक्रियता को देखते हुए सूबे में सियासी उलटफफेर की भी चर्चा तेज हो गई है. अब सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार फिर बीजेपी से रिश्ता तोड़ राजद खेमें में जाएंगे? क्योंकि हाल के दिनों में नीतीश कुमार की लालू यादव के परिवार से काफी नजदीकियां देखी गई हैं.