अंज़रूल बारी
श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को एक बार फिर आपातकाल की घोषित कर दी, जो आधी रात से लागू हो गई है. श्रीलंका के डेली मिरर ने राष्ट्रपति के मीडिया डिवीजन का हवाला देते हुए ये जानकारी दी है.
राष्ट्रपति के मीडिया विभाग के मुताबिक राजपक्षे का ये निर्णय जनता की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं को बरकरार रखने के लिए है ताकि देश का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित हो सके. श्रीलंका में जनता द्वारा पिछले कई हफ्ते से राष्ट्रपति और सरकार के इस्तीफे की मांग के बीच आपातकाल लागू करने का फैसला लिया गया है.
वहीं आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर व्यापार संघ ने शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल की थी. जिसमें स्वास्थ्य, डाक, बंदरगाह और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े ज्यादातर व्यापार संघ हड़ताल में शामिल रहे. हालांकि सत्तारूढ़ दल के समर्थक कई व्यापार संघ इसमें शामिल नहीं हुए. श्रीलंका में इस समय व्यापार गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ी हैं और उन स्थानों पर भी सड़कें सुनसान दिखती हैं, जहां आम तौर पर काफी भीड़भाड़ देखी जाती थी.
जॉइंट ट्रेड यूनियन एक्शन ग्रुप के रवि कुमुदेश ने कहा कि 2000 से अधिक व्यापार संघ इस एक दिवसीय हड़ताल में शामिल रहे हैं. हालांकि हमने आपातकाल सेवा जारी रखी थीं. उन्होंने कहा कि हमारी हड़ताल का मकसद राष्ट्रपति को सिर्फ ये बताना था कि उन्हें अपनी सरकार के साथ इस्तीफा दे देना चाहिए. अगर राष्ट्रपति हमारे अनुरोध पर ध्यान नहीं देंगे तो हम 11 मई से तब तक हड़ताल करेंगे जब तक सरकार इस्तीफा नहीं दे देती. हड़ताल के दौरान निजी बस संचालकों ने कहा कि डीजल के लिए ईंधन स्टेशन पर लंबी कतारों को वजह से उनके लिए सेवाएं देना मुश्किल हो गया है.
इस दौरान राष्ट्रपति राजपक्षे के निजी आवास के बाहर जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन के बाद एक अप्रैल को भी आपातकाल की घोषणा की गई थी. हालांकि पांच अप्रैल को इसे वापस ले लिया गया था. आपातकाल के तहत पुलिस और सुरक्षा बलों को मनमाने तरीके से किसी को भी गिरफ्तार करने और हिरासत मे रखने की शक्ति मिल जाती है.
बता दें कि श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कमी के साथ ही भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.