Sunday, September 8, 2024
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दक्षिण के राज्यों में उठा फिर से हिंदी भाषा का विवाद

अखिलेश अखिल

बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और कन्नड़ भाषी फिल्मों के कलाकार किच्चा सुदीप के बीच ट्विटर पर हिंदी को लेकर हुई दोस्ताना बहस ने तब राजनीतिक रंग ले लिया जब इसमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और एच. डी. कुमारस्वामी भी शामिल हो गए और दोनों नेताओं ने कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है और वह देश की किसी भी अन्य भाषा की तरह ही एक भाषा है.
कांग्रेस नेता सिद्दारमैया ने कहा, ‘‘ हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा ना कभी थी और न कभी होगी. हमारे देश की भाषाई विविधता का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है. प्रत्येक भाषा का अपना समृद्ध इतिहास है और उस भाषा के लोगों को उस पर गर्व है. जैसे मुझे कन्नड़ भाषी होने पर गर्व है.’’
सिद्धारमैया की तरह ही जनता दल (सेक्युलर) के नेता और पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने अपने विचार रख सुदीप का समर्थन भी किया. उन्होंने कहा, ‘‘ अभिनेता सुदीप का कहना सही है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है. उनके बयान में कुछ भी गलत नहीं है. अभिनेता अजय देवगन आक्रामक स्वभाव के हैं और उन्होंने अपने इस अजीब व्यवहार को प्रदर्शित किया है.’’
कुमारस्वामी के अनुसार, हिंदी भी कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम और मराठी जैसी भाषाओं की तरह एक भाषा है. कुमारस्वामी ने बृहस्पतिवार को सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘ भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं. देश विभिन्न संस्कृतियों से समृद्ध है. इसमें खलल उत्पन्न करने की कोशिश ना करें.’’
कुमारस्वामी ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है, इसे राष्ट्रभाषा नहीं कहा जा सकता. कश्मीर से कन्याकुमारी तक नौ राज्यों से कम में हिंदी दूसरे या तीसरे नंबर की भाषा है या ऐसे भी राज्य हैं, जहां उसे यह मुकाम भी हासिल नहीं हैं. कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘अगर स्थिति यह है तो अजय देवगन के बयान में क्या सच्चाई है? फिल्म को ‘डब’ (दूसरी भाषा में अनुवाद) नहीं करने से आपका (अजय देवगन का) क्या मतलब है?’’
उनके अनुसार, केंद्र में ‘हिंदी’ भाषी राजनीतिक दल शुरू से ही क्षेत्रीय भाषाओं को खत्म करने का प्रयास करते रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय भाषाओं को ‘‘दबाना’’ शुरू किया था और अब भारतीय जनता पार्टी भी ऐसा ही कर रही है.
गौरतलब है कि अजय देवगन और सुदीप के बीच ट्विटर पर ‘‘हिंदी राष्ट्र भाषा है या नहीं’’ इस बात को लेकर बहस हुई थी. हालांकि, सुदीप ने स्पष्ट कर दिया था कि उनके बयान को लोगों ने दूसरे संदर्भ में ले लिया. अभिनेता ने कहा था कि उनकी मंशा किसी को उकसाने या ठेस पहुंचाने या कोई बहस शुरू करने की नहीं थी. बेंगलुरु में कुछ दिन पहले फिल्म ‘केजीएफ-2’ की सफलता को लेकर आयोजित एक समारोह के दौरान कार्यक्रम के संचालक के एक बयान पर सुदीप ने कहा था, ‘‘हिंदी अब राष्ट्रीय भाषा नहीं रही.’’
संचालक ने कहा था कि कन्नड़ फिल्म ‘केजीएफ-2’ को देशभर में लोगों ने पसंद किया है. इस पर सुदीप ने कहा था, ‘‘आप ने कहा कि कन्नड़ फिल्म केजीएफ-2 को देशभर में लोगों ने पसंद किया, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही.’’

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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