Sunday, September 8, 2024
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ईरान में महिलाओं के ड्रेस कोड पर बिल पारित, उल्लंघन करने पर 10 साल की सज़ा का प्रावधान

तेहरान: ईरान में इस्लामी इंकलाब की जड़ों को मजबूती प्रदान करने के मकसद से और बार बार महिला ड्रेस कोड को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ईरान की संसद ने एक ऐसा बिल पारित किया है, जिससे ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वाली लड़कियों और महिलाएं को अधिकतम 10 साल तक की सजा हो सकती है. ये बिल गार्डियन काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद कानून की शक्ल ले लेगा.

बता दें कि पिछले साल 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे. हालांकि ईरान ने इन विरोध प्रदर्शनो को अमेरिका और यूरोप द्वारा प्रायोजित साजिश करार देते हुए सीधे सीधे इन देशों को जिम्मेदार करार दिया था.

महसा को कथित तौर पर हिजाब पहनने के नियम के उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया था, ईरानी पुलिस का दावा है कि महसा की मौत बीमारी के सबब हुई थी जबकि प्रदर्शनकारी इसे पुलिस प्रताड़ना से हुई मौत करार देते रहे.

वहीं, देश में ऐसी महिलाओं और लड़कियों की संख्या बढ़ रही है जो अब हिजाब को ना सिर्फ पहनती हैं बल्कि उसे बढ़ावा देने के लिए सरकार पर बराबर कानून बनाने का भी दबाव डालती रही है. मौजूदा समय में, अगर लड़कियां या महिलाएं ड्रेस कोड का पालन नहीं करती हैं तो उन्हें 10 दिन से लेकर दो महीने तक की जेल हो सकती है.

बुधवार को सांसदों ने ‘हिजाब और चेस्टिटी बिल’ विधेयक पारित किया. अगर ये बिल कानून बनता है तो इसका उल्लंघन करने वाली लड़कियों और महिलाओं पांच से 10 साल तक की सजा हो सकती है.

गौरतलब है कि ईरान एक इस्लामी देश है, जो अपने देश में इस्लामी शरिया को ध्यान में रखते हुए बराबर इस तरह की क़ानून बनाने की कोशिश में रहा है ताकि ईरान में मुसलमान अपनी शरीयत के अनुसार इस्लामी उसूलों का पालन कर सकें.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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