जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार द्वारा रातों रात हटाए गए धारा 370 मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधानिक पीठ ने 16 दिन चली ज़ोरदार बहस के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है. दरअसल 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू – कश्मीर को धारा 370 के तहत हासिल विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था. साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेश – जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फैसला लिया गया था. बता दें कि अनुच्छेद 370 के तहत ही जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मामले की सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने सबसे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुहम्मद अकबर लोन के हलफनामे पर चर्चा की.जिसके जवाब में सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें अकबर लोन का हलफनामा कल रात मिला है. उसमें साफ दिख रहा है कि जब आतंकी हमला हुआ था, तो लोन की सहानुभूति सिर्फ आतंकियों और सिविलयन लोगों के लिए थी. उन्होंने भारत का जिक्र ऐसे किया है, जैसे ये कोई विदेशी देश हो. तुषार मेहता ने आगे कहा कि लोन के हलफनामे में ये बात होनी चाहिए कि वो इस बयान को वापस ले रहे हैं, वो आतंक का समर्थन नहीं करते हैं, वो किसी अलगाववादी गतिविधि का समर्थन नहीं करते हैं और इस देश का कोई नागरिक ऐसी बात नहीं कर सकता है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की इस संवैधिक बेंच में भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत जैसे जजेज़ शामिल हैं. संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित थी.