Sunday, September 8, 2024
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ब्रिटिश शासन से पहले भारत की 70 फ़ीसदी आबादी शिक्षित थी: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हरियाणा के करनाल में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि अंग्रेज़ों के शासन काल से पहले भारत में क़रीब 70 फ़ीसदी लोग शिक्षित थे और बेरोज़गारी भी न के बराबर थी.

मोहन भागवत ने ब्रिटिश शासन का ज़िक्र करते हुए कहा, “ब्रिटिश शासन से पहले भारत की 70 से 80 फ़ीसदी आबादी शिक्षित थी और उस शिक्षा के ज़रिए सब लोग अपनी-अपनी आजीविका का रास्ता खोज लेते थे, बेरोज़गारी लगभग नहीं थी. यहाँ आने के बाद अंग्रेज़ों ने हमारी 70 फ़ीसदी लोगों को शिक्षित रखने वाली व्यवस्था को कबाड़खाने में डाल दिया.”

“कबाड़खाने में डाला नहीं. बल्कि उन्होंने उसे अपने देश में लागू किया और उनकी शिक्षा व्यवस्था को यहाँ लाए. वो 70 फ़ीसदी साक्षर बन गए और हम 17 फ़ीसदी साक्षर रह गए. ये इतिहास का सत्य है.”

मोहन भागवत ने ये भी कहा कि अंग्रेज़ों के आने से पहले जो भारत में शिक्षा व्यवस्था थी उसमें वर्ण-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता था बल्कि शिक्षक सबको पढ़ाते थे.

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “आदमी अपना जीवन चला सके, ऐसी शिक्षा सबको मिलती थी. गाँव में जाकर शिक्षक सिखाता था, इसलिए नहीं क्योंकि उसे अपना पेट भरना था बल्कि इसलिए सिखाता था क्योंकि शिक्षा देना उसका काम है और गाँव उसकी आजीविका की चिंता करता था.”

मोहन भागवत ने कहा कि आजकल हमारे देश में हालात ये हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कोई भी कुछ भी करने को तैयार है क्योंकि दोनों ही चीज़ें महंगी और दुर्लभ हो गई हैं. उन्होंने कहा कि आज शिक्षा एक व्यवसाय बन गई है और शिक्षा और स्वास्थ्य हर व्यक्ति तक पहुंचे ये ज़रूरी भी है.

बता दें कि करनाल पहुंचे मोहन भागवत ने इंद्री रोड स्थित श्री आत्मा मनोहर जैन अराध्य मंदिर का दौरा कर एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन भी किया.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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