2019 में दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी के बाहर हुई हिंसा के केस में दिल्ली पुलिस को अदालत के सामने जबरदस्त शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. अदालत ने छात्र नेता शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा समेत 11 आरोपियों को बरी कर दिया है.
साकेत कोर्ट ने 32 पेज के अपने फैसले में पुलिसिया जांच पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. अदालत ने तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट के लिए भी दिल्ली पुलिस की जबरदस्त फटकार लगाई है. ऐडिशनल सेशंस जज अरुल वर्मा ने दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल तीसरी चार्जशीट पर कहा कि चार्जशीट की शुरुआत ही गलतबयानी से होती है. जिसके साथ ही दिल्ली पुलिस का केस अदालत में ताश के पत्तों की तरह ढह गया.
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि पुलिस ने गवाहों से आरोपी की फोटो के जरिए पहचान कराने में तीन साल लगा दिए. दो को छोड़कर बाकी सभी पुलिस के गवाह हैं, जिससे केस ‘संदिग्ध’ हो जाता है. कोर्ट ने कहा कि गवाह केवल यही बताते हैं कि आरोपी प्रदर्शन का हिस्सा थे और उनमें से कुछ ‘तेज आवाज में बोल’ रहे थे. कुछ ‘पुलिस के साथ बहस’ कर रहे थे.
अपनी सख्त टप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि ‘आपको विरोध और बगावत के बीच अंतर को समझना होगा. बगावत का दमन जरूरी है, लेकिन विरोध को स्थान और मंच, दोनों देना चाहिए’.
अदालत ने फैसले में कहा कि पुलिस ने ऐसा कुछ रिकॉर्ड पर नहीं रखा जिससे पहली नजर में ही सही मान लिया जाए, और ऐसा लगे कि आरोपी दंगाई भीड़ का हिस्सा थे. उनमें से कोई हथियार नहीं लहरा रहा था, न ही पत्थर फेंक रहा था.’
कोर्ट ने पुलिस की उस चार्ज को भी खारिज कर दिया जिस में आरोपियों ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया इलाके में लगी Cr PC की धारा 144 का उल्लंघन किया था. अदालत ने कहा कि जहां प्रदर्शन हुए, वहां के लिए ऐसा कोई आदेश प्रभावी नहीं था. अदालत ने कहा कि किसी भी गवाह ने आरोपियों को कुछ करते हुए नहीं देखा है. महज़ घटनास्थल पर मौजूदगी से आरोप तय नहीं होते हैं.
बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने 12 लोगों को आरोपी बनाया था. शनिवार को साकेत कोर्ट ने इनमें से 11 को आरोपमुक्त कर बरी कर दिया. साथ ही अदालत ने मुहम्मद इलयास के खिलाफ आरोप तय करने के लिए 10 अप्रैल की तारीख दी है.
याद रहे कि जेएनयू के छात्र शरजील इमाम, जिन्हें इस मामले में जमानत भी मिल चुकी थी, उनमें से एक हैं. हालांकि वह अभी जेल में ही रहेंगे. उनपर 2020 दिल्ली दंगों से जुड़े UAPA का एक केस भी दर्ज है. जबकि सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शाहज़ार रज़ा खान, मोहम्मद अबूजर, मुहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम और चंदा यादव रिहा हुए हैं.