Thursday, November 21, 2024
होमजुर्मगुजरात: 2002 दंगों के एक मामले में 22 लोगों को कोर्ट ने...

गुजरात: 2002 दंगों के एक मामले में 22 लोगों को कोर्ट ने सुबूतों के आभाव में किया बरी

गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर छिड़ी बहस के बीच ही पंचमहल ज़िले की एक अदालत ने मंगलवार को 22 लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर चर्चा को और गर्मा दिया है. इन पर गोधरा कांड के बाद हुए सांप्रदायिक नरसंहार से जुड़े एक मामले में अल्पसंख्यक समुदाय के 17 सदस्यों की हत्या का आरोप था. जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे.

बचाव पक्ष के वकील गोपाल सिंह सोलंकी ने कहा कि एडिशनल सेशन जज हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने सभी 22 अभियुक्तों को बरी कर दिया है, जिनमें से आठ की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी थी.

सोलंकी ने कहा कि ज़िले के देलोल गांव में दो बच्चों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों की हत्या और दंगा भड़काने के मामले में अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी अभियुक्तों को बरी किया है.

वहीं, अभियोजन पक्ष का कहना है कि पीड़ितों को 28 फ़रवरी, 2002 को मार दिया गया था और सबूत नष्ट करने के इरादे से उनके शवों को जला दिया गया था.

देलोल गांव में हिंसा के बाद हत्या और दंगे से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लेकिन एक अन्य पुलिस निरीक्षक ने घटना के लगभग दो साल बाद नए सिरे से मामला दर्ज किया और दंगों में शामिल होने के आरोप में 22 लोगों को गिरफ़्तार किया था.

सोलंकी ने कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत इकट्ठा नहीं कर सका और यहां तक कि गवाह भी मुकर गए. जबकि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़ितों के शव कभी नहीं मिले.

पंचमहल ज़िले के गोधरा कस्बे के पास 27 फ़रवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगने की दर्दनाक घटना पेश आई थी. इसके एक दिन बाद राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सांप्रदायिक नरसंहार शुरू हो गया था. बोगी जलने की घटना में 59 यात्रियों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकांश ‘कारसेवक’ थे और अयोध्या से लौट रहे थे.

जिसके बाद गुजरात के अलग अलग शहरों में संप्रदायिक दंगों में एक अनुमान के मुताबिक़ 1000 से अधिक लोग मारे गए.

Anzarul Bari
Anzarul Bari
पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments