Sunday, September 8, 2024
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दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव का निधन

दिग्गज समाजवादी और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है. उनकी बेटी सुभाष‍िनी शरद यादव ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी. शरद यादव ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बता दें कि उनका निधन गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में हुआ. वहीं शरद यादव की बेटी ने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट में लिखा- “पापा नहीं रहे.”

बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह जनता दल पर‍िवार के पुराने नेता थे और जीवन के अंत‍िम द‍िनों में एक बार फ‍िर लालू यादव की पार्टी राष्‍ट्रीय जनता दल से ही आकर जुड़ गए थे.


1990 ब‍िहार व‍िधानसभा चुनाव के बाद मुख्‍यमंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव के चयन में शरद यादव ने जनता दल खेमा में महत्‍वपूर्ण भूम‍िका न‍िभाई थी. तब के प्रधानमंत्री व‍िश्‍वनाथ प्रताप सिंह रामसुंदर दास को सीएम बनाए जाने के पक्ष में थे. लालू ने शरद यादव को अपने खेमे में करके तीन वोट से राजद के अंदर रामसुंदर दास पर बढ़त बना ली थी.


हालांक‍ि, यहीं से दोनों की दोस्‍ती टूटने की भी नींव पड़ने लगी थी. 1997 में लालू ने राष्‍ट्रीय जनता दल का गठन कर ल‍िया, जबक‍ि शरद यादव ने जदयू की स्‍थापना की. यह बाद में जॉर्ज फर्नां‍ड‍िंस की समता पार्टी में म‍िल गई. आगे चलकर शरद और लालू लोकसभा चुनाव में भी एक-दूसरे के सामने आए. दोनों ने एक-एक बार एक-दूसरे को हराया.


शरद यादव ने 2017 में नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के फैसले का कड़ा व‍िरोध क‍िया था. इस व‍िरोध की कीमत उन्‍हें राज्‍यसभा की सांसदी गंवा कर चुकानी पड़ी थी. 2018 में उन्‍होंने अलग पार्टी एलजेडी बनाई. हालांक‍ि, राजनीत‍िक रूप से यह पार्टी असफल रही. खुद शरद यादव भी चुनाव नहीं जीत सके.


अंतत: साल 2022 में शरद यादव ने एलजेडी को लालू यादव की आरजेडी में म‍िला लेने का न‍िर्णय ल‍िया था. इसके साथ ही पुराने सहयोगी लालू से एक बार फ‍िर शरद का म‍िलन हो गया.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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