Thursday, November 21, 2024
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बिहार में कोई दूसरा उपमुख्यमंत्री नहीं, राजद, कांग्रेस को मिलेगी मंत्रिपरिषद में जगह

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अब किसी दूसरे नेता को डिप्टी सीएम बनाने से इंकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद विस्तार में राजद और कांग्रेस को जगह मिल सकती है. नीतीश का यह बयान समाधान यात्रा के बीच सामने आया है. इस बयान के बाद साफ़ हो गया है कि उपेंद्र कुशवाहा को उपमुख्यमंत्री बनाने से जुडी खबरे प्लांट की जा रही थी. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा ने पहले ही कह दिया था कि सीएम का जो भी निर्णय होगा, उन्हें मान्य होगा और उपमुख्यमंत्री बनने की उन्हें कोई जल्दबाजी भी नहीं है.

नीतीश कुमार ने कहा, “हम सात दलों का गठबंधन हैं, और प्रत्येक घटक दल का एक निश्चित हिस्सा है. जिनके मंत्रियों ने पद छोड़े हैं, उन्हें तदनुसार समायोजित किया जा सकता है. हमारे पास कांग्रेस से भी कुछ और हो सकते हैं.”

बता दें कि राजद कोटे से दो मंत्रियों- सुधाकर सिंह और कार्तिक कुमार ने पिछले साल अगस्त में महागठबंधन की सरकार बनने के चंद महीनों के भीतर ही इस्तीफा दे दिया था. इसके अलावा, कांग्रेस, जिसे दो बर्थ दी गई हैं, विधानसभा में अपनी संख्या के अनुरूप प्रतिनिधित्व की मांग कर रही है. बता दें कि 243 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. राजद 79 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि जदयू के पास 45 विधायक हैं.

उपेंद्र कुशवाहा का नाम लिए बिना, जो संसदीय बोर्ड जदयू के प्रमुख हैं, नीतीश कुमार ने कहा, “मैं एक और डिप्टी सीएम होने के बारे में यह बात सुनकर चकित हूं. यह बकवास है. मुझे एक से अधिक डिप्टी सीएम होने के कारण मजबूर होना पड़ा. मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि मैं तब मुख्यमंत्री भी नहीं बनना चाहता था.”

बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद, बीजेपी ने कुमार के भरोसेमंद दोस्त सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री के पद से हटा दिया था और उपमुख्यमंत्री पद के लिए दो कम कट्टर नेताओं, तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी का समर्थन किया था.

नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी से सहयोगी बने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे यादव को कमान सौंपना चाहते हैं. वह यह भी संकेत दे रहे हैं कि वह अगले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए अपनी ऊर्जा समर्पित करना चाहते हैं.

Anzarul Bari
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पिछले 23 सालों से डेडीकेटेड पत्रकार अंज़रुल बारी की पहचान प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में एक खास चेहरे के तौर पर रही है. अंज़रुल बारी को देश के एक बेहतरीन और सुलझे एंकर, प्रोड्यूसर और रिपोर्टर के तौर पर जाना जाता है. इन्हें लंबे समय तक संसदीय कार्रवाइयों की रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है. कई भाषाओं के माहिर अंज़रुल बारी टीवी पत्रकारिता से पहले ऑल इंडिया रेडियो, अलग अलग अखबारों और मैग्ज़ीन से जुड़े रहे हैं. इन्हें अपने 23 साला पत्रकारिता के दौर में विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के लिए भी काम करने का अच्छा अनुभव है. देश के पहले प्राइवेट न्यूज़ चैनल जैन टीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर शो 'मुसलमान कल आज और कल' को इन्होंने बुलंदियों तक पहुंचाया, टीवी पत्रकारिता के दौर में इन्होंने देश की डिप्राइव्ड समाज को आगे लाने के लिए 'किसान की आवाज़', वॉइस ऑफ क्रिश्चियनिटी' और 'दलित आवाज़', जैसे चर्चित शोज़ को प्रोड्यूस कराया है. ईटीवी पर प्रसारित होने वाले मशहूर राजनीतिक शो 'सेंट्रल हॉल' के भी प्रोड्यूस रह चुके अंज़रुल बारी की कई स्टोरीज़ ने अपनी अलग छाप छोड़ी है. राजनीतिक हल्के में अच्छी पकड़ रखने वाले अंज़र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं साथ ही अपने बेबाक कलम और जबान से सदा बहस का मौज़ू रहे है. डी.डी उर्दू चैनल के शुरू होने के बाद फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यूज़ पर आधारित स्पेशल शो 'फिल्म की ज़बान उर्दू की तरह' से उन्होंने खूब नाम कमाया. सामाजिक हल्के में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले अंज़रुल बारी 'इंडो मिडिल ईस्ट कल्चरल फ़ोरम' नामी मशहूर संस्था के संस्थापक महासचिव भी हैं.
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