आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को सीबीआई ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया. वीडियोकॉन ग्रुप को रेगुलेशन के खिलाफ जाकर दिए गए करोड़ों रुपए के लोन के मामले में ये गिरफ्तारी हुई है. जब ये लोन दिए गए थे उस समय चंदा बैंक में सीईओ और एमडी के पद पर थी. इन लोन्स के NPA होने से बैंक को 1730 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि कोचर परिवार को एजेंसी हेडक्वार्टर बुलाया गया था और पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. सीबीआई ने आरोप लगाया कि वो अपने जवाब में टालमटोल कर रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. कोचर को शनिवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था.
दीपक और चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक की ओर से वीडियोकॉन को दिए गए लोन के जरिए फ्रॉड किया. ये लोन बाद में नॉन परफॉर्मिंग एसेट में बदल गए. इस मामले में दीपक और चंदा कोचर के खिलाफ सीबीआई, ईडी, एसएफआईओ और आयकर विभाग जांच कर रहे हैं.
बता दें कि इसमें साल 2012 में वीडियोकॉन को दिया 3250 करोड़ रुपए का लोन शामिल है. आरोपों के अनुसार वीडियोकॉन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कोचर की कंपनी नूपॉवर रिन्यूएबल्स में वीडियोकॉन को लोन मिलने के बाद करोड़ों रुपए का निवेश किया था. लोन को एक कमेटी से मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी एक मेंबर थीं. अक्टूबर 2018 में इस मामले को लेकर चंदा को इस्तीफा देना पड़ा था.
इस मामले की जांच 2016 में शुरू हुई थी, जब दोनों फर्मों, वीडियोकॉन ग्रुप और आईसीआईसीआई बैंक में एक निवेशक अरविंद गुप्ता ने लोन अनियमितताओं के बारे में चिंता जताई थी. गुप्ता ने आरबीआई और यहां तक कि पीएम को इस बारे में लिखा था, लेकिन उनकी शिकायत पर उस समय कोई ध्यान नहीं दिया गया. मार्च 2018 में एक अन्य व्हिसल-ब्लोअर ने शिकायत की.