गुजरात चुनाव के दिन जैसे – जैसे नजदीक आ रहे हैं. बीजेपी की परेशानी बढ़ती जा रही है. इस बार गुजरात चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है. और बीजेपी को लग रहा है कि अगर 2017 की तरह ही नोटा वोटों की संख्या बढ़ती चली गई, तो उसकी परेशानी बढ़ सकती है. यही वजह है कि पार्टी अपनी अंदुरुनी बैठक में अब नोटा वोट को रोकने पर मंथन करती नजर आ रही है. पिछले विधान सभा चुनाव में 115 सीटों पर बड़ी मात्रा में नोटा वोट पड़े थे. नोटा वोट तीसरे स्थान पर आ गया था.
बता दें कि पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नोटा की जगह को अंतिम से हटाने के लिए भी बीजेपी की ओर से असफल प्रयास किए गए थे. बीजेपी नेताओं के अनुसार, कई लोगों ने इसे सूची में नंबर एक मानते हुए अंतिम पंक्ति पर अपना वोट डाला. पार्टी के नेता स्वीकार करते हैं कि उनके कैडर और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के लिए सबसे बड़ा काम बीजेपी की जीत के बारे में “अति-आत्मविश्वास” पैदा करने के बजाय मतदान के दिनों में मतदाताओं को घरों से बाहर निकालना है.
साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ें देखें तो गुजरात राज्य की कुल 182 सीटों में से 115 पर नोटा तीसरे नंबर पर था. गुजरात के लगभग तीन करोड़ मतदाताओं में से लगभग 5.51 लाख या 1.84 फीसद मतदाताओं ने नोटा को चुना था. गुजरात में नोटा का कुल वोट शेयर बीजेपी (49.05 फीसदी) और कांग्रेस (41.44 फीसदी) के बाद तीसरे नंबर पर सबसे अधिक नोटा (1.84 फीसदी) था. बीते चुनाव में कुल 794 निर्दलीयों में से सिर्फ तीन ही चुनाव जीत पाए थे. ये इकलौता समूह था, जिसने नोटा से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया था.
केंद्रीय चुनाव आयोग ने 3 नवंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था. गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा. पहले चरण के मतदान के लिए आज मंगलवार शाम प्रचार अभियान थम गया. चुनाव के परिणाम 8 दिसंबर को सामने आएंगे. गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से पहले चरण में 89 और दूसरे चरण में 93 सीटों पर मतदान होगा.